Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
Search
विशेष आलेख
पूजायें
जैन तीर्थ
अयोध्या
अकेलापन!
July 23, 2018
शब्दकोष
jambudweep
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार]] [[श्रेणी:शब्दकोष]] ==
अकेलापन :
==
प्रत्येकम् प्रत्येकम् निजभाव्, कर्मफलमनुभवताम्। क: कस्य जगति स्वजन:? क: कस्य वा परजनो भणित:।।
—समणसुत्त : ५१५
यहाँ प्रत्येक जीव अपने—अपने कर्मफल को अकेला ही भोगता है। ऐसी स्थिति में यहाँ कौन किसका स्वजन है और कौन किसका परजन ?
एगो य मरदि जीवो एगो य जीवदि सयं। एगस्स जादि मरणं एगो सिज्झदि णीरयो।।
—नियमसार : १०१
जीव अकेला ही मरता है, अकेला ही जन्म लिया करता है। जन्म—मरण अकेले का ही होता है और वह अकेला ही कर्म—रज—रहित सिद्ध हुआ करता है।
Tags:
Suktiya
Previous post
अक्रम!
Next post
अक्रियावादी!
Related Articles
कर्म-निर्जरा :!
November 27, 2015
jambudweep
असत्य :!
November 27, 2015
jambudweep
आहार-विवेक :!
November 27, 2015
jambudweep
error:
Content is protected !!