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अयोध्या
अनंत :!
November 27, 2015
शब्दकोष
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[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार]] ==
अनंत :
==
जह सूरमणी जलणं, मुंचइ सुरेण ताविओ संतो। तह जीवो वि हु नाणं पावइ तव—सोसियप्पाणो।।
—कुवलयमाला : १७९
जिस तरह सूर्य से तप्त हुआ सूर्यकांत मणि अग्नि को प्रकट करता है, उसी तरह अपने तप से तपा हुआ जीव अनंत ज्ञान को प्रगट करता है।
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Suktiya
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