[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] == आत्मशक्ति : == तारा नक्षत्र ग्रह चंद्रनी, ज्योति दिनेष मोसार रे। दर्शन—ज्ञान—चरण थकी, शक्ति निजताम धार रे।।
—आनंदघन ग्रंथावली १५३
जिस प्रकार सूर्य में तारों, नक्षत्रों, ग्रहों और चंद्रमा की ज्योति अन्तर्भूत हो जाती है, उसी तरह आत्मा में भी दर्शन—ज्ञान—चारित्र गुण की शक्ति अन्र्तिनहित है।