उत्पाद व्यय के बिना नहीं होता और व्यय उत्पाद के बिना नहीं होता। इसी प्रकार उत्पाद और व्यय दोनों त्रिकाल स्थायी ध्रौव्य अर्थ (आधार) के बिना नहीं होते। उत्पादस्थितिभंगा, विद्यन्ते पर्यायेषु पर्याया:। द्रव्यं हि सन्ति नियतं, तस्माद् द्रव्यं भवति सर्वम्।।
उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य (उत्पत्ति, विनाश और स्थिति) ये तीनों द्रव्य में नहीं होते, अपितु द्रव्य की नित्य परिवर्तनशील पर्यायों में होते हैं। परन्तु पर्यायों का समूह द्रव्य है, अत: सब द्रव्य ही हैं। समवेतं खलु द्रव्यं, सम्भवस्थितिनाशसंज्ञितार्थै:। एकस्मिन् चैव समये, तस्माद् द्रव्यं खलु तत् त्रितयम्।।
द्रव्य एक ही समय में उत्पाद, व्यय व ध्रौव्य नामक अर्थो के साथ समवेत–एकमेक है। इसलिए तीनों वास्तव में द्रव्य हैं।