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कुल :!
November 21, 2017
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[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष ]] ==
कुल :
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पुरिसाण कुलीणाण वि न कुलं विणयस्स कारणं होइ। चंदाऽमय—लच्छि सहोयरं पि मारेइ किं न विसं।।
—गाहारयणकोष : १००
कुलीन पुरुषों का कुल विनय (आचार) का कारण (प्रमाण) नहीं होता। विष चन्द्र, अमृत एवं लक्ष्मी का सहोदर होते हुए भी क्या प्राण नाश नहीं करता ?
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Suktiya
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