ईर्या, भाषा, एषणा, आदान—निक्षेपण और उच्चार (मल—मूत्रादि विसर्जन)—ये पांच समितियाँ हैं। मनोगुप्ति, वचनगुप्ति और कायगुप्ति—ये तीन गुप्तियाँ हैं। ये पाठ प्रवचनमाताएं हैं। जैसे सावधान माता पुत्र का रक्षण करती है, वैसे ही सावधानीपूर्वक पालन की गई ये आठों माताएं मुनि के सम्यग्ज्ञान, सम्यग्दर्शन और सम्यग्चारित्र का रक्षण करती हैं।