जिस प्रकार गीली और सूखी मिट्टी के दो गोले दीवार पर पेंâकने पर एक चिपक जाता है तो दूसरा वापस नीचे गिर जाता है, इसी प्रकार जो मनुष्य विषयों की लालसा वाले होते हैं, वे गीली मिट्टी के गोलेवत् विषयों में लिपट जाते हैं, परन्तु सूखी मिट्टी के गोलेवत् अभोगी—विरक्त मनुष्य विषयों में लिपटते नहीं हैं। विसए अवइक्खंता, पडंति संसारसायरे घोरे। विसएसु निराविक्खा तरंति संसारकंतारे।।
विषयों की अपेक्षा रखने वाले भयंकर संसार—समुद्र में गिरते हैं और विषयों में निरपेक्ष मनुष्य संसार रूपी अटवी को पार कर जाते हैं।