पहले बुद्धि से परखकर फिर बोलना चाहिए। अंधा व्यक्ति जिस प्रकार पथ—प्रदर्शक की अपेक्षा रखता है, उसी प्रकार वाणी बुद्धि की अपेक्षा रखती है।