दुर्जन की संगति करने से सज्जन का महत्व गिर जाता है, जैसे कि मूल्यवान माला मुर्दे पर डाल देने से निकम्मी—तुच्छ, त्याज्य हो जाती है। सरिसे वि मणुयजन्मे डहइ खलो सज्जणो सुहावेइ। लोहं चिय सन्नाहो रक्खइ जीयं असी हरइ।।
सज्जन और दुर्जन, दोनों का जन्म मानव देह में होने पर भी दोनों में अंतर है। दुष्ट लोगों को जलाता है और सज्जन लोगों को सुख देता है। कवच और तलवार का निर्माण यद्यपि लोहे से ही होता है किन्तु कवच रक्षा करता है तो तलवार प्राणों का नाश करती है।