निर्ग्रन्थ मुनि-इनके २८ मूलगुण होते है,आरंभ और परिग्रह से रहित होते है,और ज्ञान,ध्यान में हमेशा लीन रहते है”वे मुनि- निर्ग्रन्थ मुनि कहलाते है”