शुक्र पांच आषाढ़ में कहीं उत्पात विशेष |
घर घर मंगलाचार रहै सुखी रहे सब देश ||
दसमी कृष्ण पक्ष में रोहिणी करै सुभिक्ष |
एकादशी मध्यम समय,द्वादशी में दुर्भिक्ष ||
बुध घर रवि चंद्रमा आवें निश्चय मान |
वोही मास तीखों रहै मूंगा साती धान ||
मावस से अधिक नखत सस्ता करै अनाज |
मास नखत पूनम नहीं तेज़ बिकै अनाज ||
पड़वा पांचै चतुर्दशी शुक्ल पक्ष में तीन |
बढ़ने पर मंदी करै,तेज़ी जब हो छीन ||
सोमवार के दिन कभी हो सूर्य संक्रान्ति |
मूंगा मोती धान्य सब सस्ता अरू सुख शान्ति ||
आश्लेखा वर्षे मेघ यदि कर्क राशि गत भानु |
कहीं उपज उत्तम रहे,कहिं महंगाई जानु ||
पूर्णलेषा चन्द्रग्रहण शशि के मण्डल जोय |
आपस में भूपति लड़ैै उत्तम वर्षा होय ||
आषाढ़ी पूनम के दिन चंद्रग्रहण हो जाय |
संग्रह कीजे अन्न का तिगुना तेज बिकाय ||
चंद्रग्रहण भृगुवार को मंदे हो सब माल |
गजेन्द्र जैन वर्णनकरै समझावें जीयालाल||
इति आषाढ़ मास फल सम्पूर्ण