नाम एवं पता | श्री 1008 दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र, रेशंदीगिरि (नैनागिरि) ग्राम-नैनागिरि, तहसील-बिजावर (सब-तहसील बकस्वाहा) जिला छतरपुर (मध्यप्रदेश) पिन – 471318 |
टेलीफोन | 07583 (का.) 280095 (नि.) 09407533103 104, 091793 93104 |
क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ |
आवास :कमरे (अटैच बाथरूम ) – 30, हाल 7 ( यात्री क्षमता- 500), यात्री ठहराने की कुल क्षमता 1000. – ( बिना बाथरूम ) – 50 गेस्ट हाउस – x भोजनशाला : नियमित, सशुल्क, विद्यालय : है, व्रती / वृद्धाश्रम, छात्रावास भी है, एस.टी.डी./पी.सी.ओ. – है, औषधालय : नहीं, पुस्तकालय : है, पुस्तकें – 6000 एवं नियमित पत्रिकाऐं-5 |
आवागमन के साधन |
रेल्वे स्टेशन : सागर- 55 कि.मी. बस स्टेण्ड पहुँचने का सरलतम मार्ग : दलपतपुर 13 कि.मी., कटनी दमोह से होकर व्हाया बकस्वाहा 25 कि.मी., शाहगढ 40 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग : सागर, टीकमगढ, छतरपुर से सड़क मार्ग सागर बकस्वाहा राष्ट्रीय राजमार्ग क्र. 86 पर स्थित दलपतपुर ग्राम से 13 कि.मी. |
निकटतम प्रमुख नगर | दलपतपुर – 13 कि.मी., बण्डा (वेलई) – 25 कि.मी., बकस्वाहा – 26 कि.मी., शाहगढ़ – 40 कि.मी. |
प्रबन्ध व्यवस्था | संस्था : श्री दि. जैन सिद्धक्षेत्र रेशंदगिरि नैनागिरि प्रबन्ध एवं ट्रस्ट समिति
अध्यक्ष : श्री डेवडिया रघुवर प्रसादजी, शाहगढ़ (07583259337 ) मंत्री : श्री सेठ दामोदरजी जैन, शाहगढ़ (07583259344, 259225) प्रबन्धक : श्री आशीष जैन, शिखरचंद जैन, नैनागिरि (07583280095) |
क्षेत्र का महत्व | क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 53
क्षेत्र पर पहाड़ : पहाड़ी पर 50 सीढ़ियाँ हैं । ऐतिहासिकता : लगभग 2900 वर्ष पूर्व भगवान पार्श्वनाथ का समवशरण यहाँ आया था, साथ ही पंच ऋषिराजों यहाँ से मोक्ष प्राप्त किया। खुदाई करने पर 13 जिन प्रतिमाओं से युक्त मन्दिर प्राप्त हुए थे । सर्वाधिक प्राचीन जिनालय ई. सन् 1042 का है। सन् 1955-56 में चौबीसी जिनालय की पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं 1987 में पार्श्वनाथ समवशरण जिनालय की प्रतिष्ठा हुई । यहाँ 38 मन्दिर पहाड़ी पर 13 मन्दिर तलहटी में, 2 मन्दिर पारस सरोवर में स्थित हैं। वार्षिक मेले या विशेष आयोजन की तिथियाँ: अगहन शुक्ल तेरस से पूर्णिमा तकवार्षिक मेला लगता है। इसके अलावा वर्ष में दो दिन विशेष कार्यक्रम होते हैं- सावन सुदी 7 श्री पार्श्वनाथ निर्वाण दिवस, कार्तिक बदी अमावस भगवान महावीर निर्वाण दिवस । |
समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र | द्रोणगिरि – 80 कि.मी., पपौराजी 102 कि.मी., अहारजी 115 कि.मी., कुण्डलपुर 120 कि.मी., खजुराहो 168 कि.मी. |