नाम एवं पता | श्री 1008 संकटहर पार्श्वनाथ दि. जैन अतिशय क्षेत्र, जटवाड़ा मु.पो. जटवाड़ा, तहसील एवं जिला औरंगाबाद (महाराष्ट्र ) – 431001 |
टेलीफोन | 02402601008, 099224 63491, 085540 28568 |
क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ | आवास :कमरे ( अटैच बाथरूम) – 30, कमरे (बिना बाथरूम) – 3हाल- 2 (यात्री क्षमता – 30+60), गेस्ट हाऊस – x यात्री ठहराने की कुल क्षमता 300
भोजनशाला : है, अनुरोध पर सशुल्क, विद्यालय : नहीं, औषधालय : नहीं, पुस्तकालय : नहीं |
आवागमन के साधन | रेल्वे स्टेशन : औरंगाबाद- 16 कि.मी.
बस स्टेण्ड पहुँचने का सरलतम मार्ग : जटवाड़ा ग्राम, ग्राम में ही मन्दिर स्थित है। बस, ऑटो रिक्शा, टेक्सी |
निकटतम प्रमुख नगर | औरंगाबाद 9 कि.मी. |
प्रबन्ध व्यवस्था | संस्था :
श्री 1008 संकटहर पार्श्वनाथ दि. जैन अतिशय क्षेत्र, जटवाड़ा (ट्रस्ट बोर्ड) अध्यक्ष : श्री सुरेन्द्र शा. नेमिनाथ शा. साहूजी (0240-2380735) मंत्री : श्री देवेन्द्रकुमार मोहनलाल काला (0240-2351128) प्रबन्धक : श्री हुकुमचन्द बंडूलाल काला (0240-2601008, 08554028568) |
क्षेत्र का महत्व | क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 05
क्षेत्र पर पहाड़ : है । आधा कि.मी. की सीधी चढ़ाई हैं। ऐतिहासिकता : यह क्षेत्र 600 वर्ष प्राचीन है, लेकिन सन् 1987 से यह क्षेत्र प्रकाश में आया है। एक मुस्लिम व्यक्ति अपने घर की नींव के लिये पत्थर निकाल रहा था, तो वह जमीन में धंसने लगा। उसे निकालने परएक भूयार दिखा जिसमें 21 प्रतिमाएँ विराजमान थीं। भगवान पद्मप्रभु व पार्श्वनाथ की प्रतिमाएँ अतिशय युक्त है। सह्याद्री की पहाड़ी से घिरे इस क्षेत्र में 12 फीट ऊँची भगवान बाहुबली की प्रतिमा शीघ्र ही विराजमान होने जा रही है। पूर्व में इस तीर्थ क्षेत्र का नाम जैनगिरी था। सन् 1997 में आचार्य देवनंदीजी ने सभा में बताया कि क्षेत्र का नाम ‘जैन अतिशय क्षेत्र जैनगिरि’ जटवाड़ा, ऐसा होगा। तब से नाम जैनगिरी कहलाने लगा। पहाड़ पर बाहुबली भगवान की प्रतिमा है। चौबीसी मंदिर तथा तीन मूर्तियाँ भगवान आदिनाथ, भगवान भरत एवं भगवान बाहुबली की हैं। |
समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र | एलोरा – 23 कि.मी., कचनेर 48 कि.मी., पैठण 63.कि.मी., एलोरा गुफऐं 21 कि.मी., अजन्ता गुफाएँ – 104 कि.मी |