वीतरागी, सर्वज्ञ और हितोपदेशी हैं तथा अर्हंत, तीर्थंकर, जिनेन्द्र आदि नामों से जाने जाते हैं, वे सच्चे देव कहलाते हैं।
जो सर्वज्ञ देव का कहा हुआ है और उन्हीं के वचनों के आधार पर आचार्यों द्वारा कहा गया है, वही सच्चा शास्त्र है, उसे जिनवाणी भी कहते हैं।
जो विषयों की आशा से रहित हैं, सम्पूर्ण आरम्भ और परिग्रह से रहित हैं, नग्न दिगम्बर मुनि हैं, वे सच्चे गुरू हैं, उन्हें ही साधु, आचार्य, सद्गुरू और तपस्वी कहते हैं।
मैं प्रतिदिन जिनमन्दिर में जाकर जिनेन्द्रदेव की प्रतिमा का दर्शन करता हूँ एवं मुनियों को नमोस्तु भी करता हूँ, अब सच्चे शास्त्रों का स्वाध्याय भी करूँगा।
प्रश्नावली