तीर्थंकर-
जो धर्मतीर्थ का प्रवर्तन करते हैं वे तीर्थंकर कहलाते हैं ।
या
24 Lords of Jaina; propagator of eternal religion. संसार सागर को स्वयं पार करने तथा दूसरों को पार कराने वाले महापुरूष धर्मतीर्थ के प्रवर्तक , पंचकल्याणकों से पूजित , प्रत्येक कल्प (चतुर्थ काल) में वे 24 होते है। जैसे – वर्तमान काल के 24 तीर्थंकर हैं – ऋषभ देव , अजितनाथ, संभवनाथ, अभिनंदननाथ , सुमतिनाथ, पद्मप्रभनाथ, सुपाश्र्वनाथ,, चन्द्रप्रभनाथ, पुष्पदंतनाथ,शीतलनाथ, श्रेयांसनाथ, वासुपूज्यनाथ, विमलनाथ, अनंतनाथ,धर्मनाथ, शांतिनाथ, कुंथुनाथ, अरनाथ,मल्लिनाथ, मुनिसुव्रतनाथ, नमिनाथ, नेमिनाथ, पाश्र्वनाथ एंव महावीर स्वामी । इस प्रकार त्रिकाल की अपेक्षा अंततानंत तीर्थंकर भूतकाल में हो चुके हैं एंव भविष्य में भी होवेंगें। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]