पंचेन्द्रिय तिर्यंच के तीन भेद हैं- जलचर, स्थलचर और नभचर।
जलचर– जो जल में रहते हैं। जैसे-मगर, मछली, कछुआ आदि।
स्थलचर- जो पृथ्वी पर चलते हैं। जैसे-बैल, घोड़ा, बन्दर, हाथी आदि।
नभचर- जो आकाश में उड़ा करते हैं। जैसे-कबूतर, तोता, चिड़िया आदि।
सैनी-असैनी
पंचेन्द्रिय के दो भेद हैं- सैनी, असैनी।
जिनके मन हो, शिक्षा और उपदेश को समझ सकते हों, वे सैनी कहलाते हैं। जैसे-हाथी, बैल, कुत्ता, मेंढक आदि।
जिनके मन नहीं है, शिक्षा और उपदेश को ग्रहण नहीं कर सकते हैं, वे असैनी कहलाते हैं। कोई-कोई तोते, पानी में रहने वाले सांप आदि असैनी होते हैं।
मनुष्य, देव और नारकी सैनी ही होते हैं। एकेन्द्रिय, दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय और चार इन्द्रिय जीव असैनी ही होते हैं।
पंचेन्द्रिय तिर्यंचों में कोई जीव असैनी होते हैं। बाकी सब सैनी ही होते हैं।
दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय और चार इन्द्रिय जीवों को विकलत्रय भी कहते हैं।