मोक्ष–Moksh.
State of salvation or liberation.
समस्त [[कर्मो]] से रहित [[आत्मा]] की परम शुद्ध अवस्था”
[[जैन]] [[धर्म]] में मोक्ष का अर्थ है [[पुद्ग़ल]] कर्मों से मुक्ति। [[जैन]] [[दर्शन]] के अनुसार मोक्ष प्राप्त करने के बाद [[जीव]] ([[आत्मा]]) जन्म मरण के चक्र से निकल जाता है। सभी [[कर्मों]] का नाश करने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। मोक्ष के उपरांत [[आत्मा]] अपने शुद्ध स्वरूप ([[अनन्त ज्ञान]], [[अनन्त दर्शन]], [[अनन्त सुख]], और [[अनन्त शक्ति]]) में आ जाती है। ऐसी आत्मा को [[सिद्ध]] कहते है। मोक्ष प्राप्ति हर जीव के लिए उच्चतम लक्ष्य माना गया है। [[सम्यक् दर्शन]], [[सम्यक् ज्ञान]], [[सम्यक् चरित्र]] से इसे प्राप्त किया जा सकता है। जैन धर्म को मोक्षमार्ग भी कहा जाता है।