अष्टसहत्री-
आ समन्तभद्र (ई.श. 2) द्वारा रचित आप्तमीमांसा अपरनाम देवागमस्तोत्रकी एक वृति अष्टशती नामकी आ. अकलंक भट्टने रची थी उस पर ही आ. विद्याननद ने (ई.995-540) 5000 श्लोक प्रमाण वृति रची थी। यह कृति दतनी गम्भीर व कठिन है। कि बडे-बडे विद्वान् भी इसे अष्टसत्री की बजाय कष्टसहस्री कहते है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]