केवलज्ञान-
असहाय ज्ञान को केवल ज्ञान कहते हैं, क्योंकि वह इन्द्रिय, प्रकाष और मनस्कार अर्थत् मनोव्यापार की अपेक्षा से रहित है । अथवा केवलज्ञान आत्मा और अर्थ से अतिरिक्त किसी इन्द्रियादिक सहायक की अपेक्षा से रहित है इसलिए भी वह केवल अर्थात् असहाय है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]