मैं तो आरती उतारूं रे, मेरू सुदर्शन की,
जय जय जय मेरू शिखर, जय जय जय।।टेक.।।
बड़े सुन्दर हैं जिनबिम्ब, मेरू के मंदिर में।मेरू के………..
चारों दिशा में चार बिम्ब, मेरू के मंदिर में।।मेरू के…….
भक्ति करो घूम-घूम, नृत्य करो झूम-झूम,
जीवन सुधारो रे, हो हो प्यारा-प्यारा जीवन सुधारो रे।।
मैं तो आरती………।।१।।
ऐरावत पर चढ़कर, इन्द्र जाता है मेरू पे।।इसी ही मेरू पे।।
तीर्थंकर का जन्माभिषेक, करता है मेरू पे।। इस ही मेरू पे।।
चार वन हैं शोभ रहे, देव जहां खेल रहे, आभा निराली है,
हो हो जिनकी आभा निराली है।।
मैं तो आरती………।।२।।
इस मेरू की महिमा अचिंत्य, ग्रंथों में कहते हैं।।ग्रंथों में…….
करे ‘चन्दनामती’ जो प्रभु भक्ति, सिद्धी को वरते हैं।। सिद्धी को……
स्वर्णाचल मेरू कहे, अकृत्रिम जिनबिम्ब रहे,
रचना है प्यारी रे, हो हो रचना है प्यारी रे।।
मैं तो आरती……..।।३।।