आरती महामानसी की-२ श्री शांति प्रभु की,
शासन देवी, गरुड़देव की यक्षिणी।।
आरती महामानसी की।।टेक.।।
सम्यग्दर्शन से सेवित, माँ तुमरी महिमा न्यारी,
सुन्दर है रूप तुम्हारा, जिनभक्तों की रखवारी।।
आरती महामानसी की।।१।।
जो तेरी शरण में आता, मनवांछित फल पाता है,
भय, रोग, शोक, दु:ख, दारिद, पल भर में भग जाता है।।
आरती महामानसी की।।२।।
धनअर्थी धन को पाते, सुतअर्थी सुत पा जाते,
मंगलकरणी, दु:खहरिणी, को सच्चे मन से ध्याते।।
आरती महामानसी की।।३।।
माँ ‘इन्दु’ शरण जो आए, मनवाञ्छा पूरी कर दो,
तुम माता हम हैं बालक, इक दृष्टि दया की कर दो।।
आरती महामानसी की।।४।।