सिद्धप्रभू को नमन कर, सिद्ध करूँ सब काम।अरिहन्तों के नमन से, पाऊँ आतम धाम।।१।।
पंचकल्याणक से सहित, तीर्थंकर अरिहन्त।अष्टकर्म को नष्ट कर, बने सिद्ध भगवन्त।।२।।
उनमें ही प्रभु ऋषभ का, चालीसा सुखकार। पढ़ो सुनो सब भव्यजन, हो जाओ भव पार।।३।।