उदयादि अवस्थित गुणश्रेणी आयाम
A kind of stable geometric progression length related to Karmic destruction. परिणामों की विशुद्धि की वृद्धि से अपवर्तनाकरण के द्वारा उपरितन स्थिति से हीन करके अन्तर्मुहूर्त काल तक प्रतिसमय उत्तरोत्तर असंख्यातगुणित वृद्धि के क्रमसे कर्म प्रदेशों की निर्जरा के लिये जो रचना होती है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]