जीवादि पदार्थों को सम्यक् प्रकार से जानने के लिए निक्षेप माना गया है। उनके चार भेद हैं-नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव। जात्यादि निमित्तों से निरपेक्ष किसी वस्तु की संज्ञा करना नाम निक्षेप है। जैसे-किसी का नाम महावीर रख देना। काष्ठ, पाषाण आदि में यह अमुक है, इस प्रकार स्थापित करना स्थापना है। इसके पूज्य-अपूज्य की अपेक्षा से भी भेद हो जाते हैं, जैसे-पाषाण की प्रतिमा में चन्द्रप्रभ की स्थापना करना पूज्य तदाकार स्थापना है इत्यादि। जो गुणों को प्राप्त हुआ था या गुणों को प्राप्त होगा, वह द्रव्यनिक्षेप है। वर्तमान पर्याय से युक्त को ग्रहण करने वाला भावनिक्षेप है।