तर्ज—बम्बई से आया……
तीरथ अयोध्या महान, इसका दर्शन करो।
जन्मे ऋषभ भगवान, उनका वन्दन करो।। टेक.।।
आत्मा को भवसिंधु से, जो तिरवाए वह तीर्थ है।
द्रव्य भाव के भेद से, कहलाते दो तीर्थ हैं।।
तीरथ की कीरत महान, इसका दर्शन करो।। जन्मे……।।१।।
ऋषभ, अजित भगवान ने, लिया यहाँ अवतार।
अभिनन्दन, सुमती तथा, श्री अनन्त सुखकार।।
पाँचों का यह जन्मधाम, इसका वन्दन करो।। जन्मे……।।२।।
भरत सगर चक्रीश ने भी, किया यहीं पर राज।
छह खण्डों पर कर विजय, पाया शिव साम्राज्य।।
नगरी विनीता है नाम, इसका दर्शन करो।। जन्मे……।।३।।
वर्तमान में राम की भी, जन्मभूमि कहलाई।
ऋषभदेव के दर्श को, माँ ज्ञानमती जी आई।।
‘‘चन्दना’’ बढ़े इसका नाम, इसका दर्शन करो।। जन्मे……।।४।।