पूर्व का नाम : बा.ब्र. श्री अनंतनाथ जी जैन (अष्टगे)
पिता का नाम : श्री मलप्पाजी जैन (अष्टगे) (समाधिस्थ मुनि श्री मल्लिसागरजी महाराज)
माता का नाम : श्रीमती श्रीमंतिजी जैन (अष्टगे) (समाधिस्थ आर्यिका समयमति माताजी)
भाई – बहिन के नाम १) श्री महावीरजी, २)बा.ब्र. विद्याधरजी (वर्तमान में आ.श्री विद्यासागर जी) ३)ब्र.बहिन शांताजी,
(जन्म के क्रम से ) : ४) ब्र बहिन सुवर्णा जी ५)आपका क्रम ६),श्री शांतिनाथजी (वर्तमान निर्यापक मुनि श्री समयसागर जी)
जन्म दिनांक/तिथि/ १३-०९-१९५६, गुरुवार, भाद्रपद शुक्ल नवमीं, वि.सं.
दिन/स्थान/समय : २०१३, दाेप. १२बजे, सदलगा, बेलगाँव (कर्नाटक)
शिक्षा (लाैकिक/ धार्मिक) : हाई स्कूल (मराठी से)
ब्रह्मचर्य व्रत दिनांक / ०२-०५-१९७५, शुक्रवार, वैशाख कृष्ण सप्तमी वि.सं.
दिन/ तिथि /स्थान : २०३२, श्री दिग. जैन अतिशय क्षेत्र महावीरजी (राज.)
क्षुल्लक दीक्षा दिनांक / १८-१२-१९७५, गुरुवार, मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा वि.सं. २०३२,
दिन / तिथि / स्थान : श्री दिगम्बर सिद्ध क्षेत्र सोनागिर, दतिया (म. प्र.)
एलक दीक्षा दिनांक/ १९-११-१९७७, सोमवार, कार्तिक शुक्ल नवमीं, वि.सं.
दिन / तिथि/ स्थान : २०३४, श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र कुण्डलपुर दमोह (म. प्र.)
मुनि दीक्षा दिनांक / १५-०४-१९८०,मंगलवार, वैशाख कृष्ण
दिन / तिथि / स्थान : अमावस्या, वि.सं.२०३७, मोराजी सागर (म. प्र.)
दीक्षा गुरु : आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
निर्यापक पद प्राप्ति तिथि : ०८-०३-२०१९, रविवार, फाल्गुन कृष्ण १२ वी. नि सं. २५४५, वि.सं.२०७५, श्री १००८ शांतिधाम, श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बीना बारहा तहसील देवरी जिला – सागर (म. प्र.)
निर्यापक पद प्रदाता : बा.ब्र. संघनायक आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज
विशेष : आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज, निर्यापक मुनि श्री समयसागर जी महाराज एवं निर्यापक मुनि श्री योगसागर जी महाराज आप तीनों गृहस्थ जीवन के सगे भाई हैं एवं आप तीनों के ग्रहस्थ जीवन के माता पिता एवं भाई बहिने भी आचार्य धर्मसागर जी से दीक्षित हुए थे । मुनि श्री अच्छे लेखक, कवि, साहित्यकार, तपस्वी अध्यातयोगी, चिंतक, विचारक है। आपने आ.श्री शांतिसागर जी, आ. श्री शिवसागर जी आ. श्री ज्ञानसागर जी, आ. श्री विद्यासागर जी की पूजन, बारह भावना, चाैबीस तीर्थंकर स्तुति, काव्य, कवितायें आपकी प्रेरणास्पद कृति ‘आत्म शिल्पी आ. श्री. विद्यासागर है’। द्रव्य संग्रह की गाथानुसार कई करोड़ जाप कर चुके है और कर रहें है । आपकी उपवास की साधना भी उत्कृष्ट है। १९९३ के गोम्टेशवर में महामस्तकाभिषेक में आपकी सह भागिता रही है । आपके सानिध्य में अनेक पंचकल्याणक, महाविधान, मंदिर शिलान्यास, वेदी प्रतिष्ठा आदि प्रभावक कार्य संपन्न हुये ।
वर्तमान में संघस्थ :संघ प्रमुख