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मनवांछित फल देने वाला, पहला तीर्थ प्रयाग है!
June 16, 2020
भजन
jambudweep
मनवांछित फल देने वाला, पहला तीर्थ प्रयाग है
तर्ज—आओ बच्चों……
मनवांछित फल देने वाला, पहला तीर्थ प्रयाग है।
सुनोगे सच्ची कथा तो तुमको, भी होगा रोमांच है।।
दीक्षा तीर्थ प्रथम, यह है अतिशय तीर्थ प्रथम-२ ।। टेक.।।
ऋषभदेव जब ध्यान लीन थे, राजपुत्र दो आए थे।
जंगल में एकांत देख, प्रभु से मन की कह पाए थे।।
नमि-विनमी बोले हे प्रभुवर, हमें भी लेना राज्य है।
सुनोगे सच्ची कथा तो तुमको, भी होगा रोमांच है।।
दीक्षा तीर्थ प्रथम, यह है अतिशय तीर्थ प्रथम-२ ।।१।।
राज्य मांगते देख उन्हें, धरणेन्द्र देवता प्रगट हुए।
ध्यान में विघ्न उपस्थित करते, देखा तो वे बोल पड़े।।
जाओ राज्य भरत से मांगो, प्रभु ने किया सब त्याग है।
सुनोगे सच्ची कथा तो तुमको, भी होगा रोमांच है।।
दीक्षा तीर्थ प्रथम, यह है अतिशय तीर्थ प्रथम-२ ।।२।।
कच्छ सुकच्छ के पुत्र नमी, विनमी ने उनको डाँट दिया।
तुम होते हो कौन हमें तो, लेना प्रभु से राज्य यहाँ।।
देंगे प्रभुजी ही सब कुछ, हमको ऐसा विश्वास है।
सुनोगे सच्ची कथा तो तुमको, भी होगा रोमांच है।।
दीक्षा तीर्थ प्रथम, यह है अतिशय तीर्थ प्रथम-२ ।।३।।
देखा जब धरणेन्द्र ने उनकी, भक्ती बहुत विचार किया।
बोला उनके कानों में, प्रभुजी ने तुमको राज्य दिया।।
विजयारध गिरि पर ले जाकर, दिया उन्हें साम्राज्य है।
सुनोगे सच्ची कथा तो तुमको, भी होगा रोमांच है।।
दीक्षा तीर्थ प्रथम, यह है अतिशय तीर्थ प्रथम-२ ।।४।।
भक्ती का यह चमत्कार, तीरथ प्रयाग से प्रगट हुआ।
उस प्राचीन धरा पर नूतन, तीर्थ ‘चंदना’ उदित हुआ।।
ऋषभदेव की तपस्थली का, करना पूर्ण विकास है।
सुनोगे सच्ची कथा तो तुमको, भी होगा रोमांच है।।
दीक्षा तीर्थ प्रथम, यह है अतिशय तीर्थ प्रथम-२ ।।५।।
तुम भी इस तीरथ पर प्रभु से, जो इच्छा हो माँग करो।
श्रद्धा भक्ती से जिनवर के, सम्मुख सदा प्रणाम करो।।
पा जाओगे भौतिक सुख, एवं शिव का साम्राज्य है।
सुनोगे सच्ची कथा तो तुमको, भी होगा रोमांच है।।
दीक्षा तीर्थ प्रथम, यह है अतिशय तीर्थ प्रथम-२ ।।६।।
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