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कमल के अन्दर, कमल के ऊपर, वीरप्रभु जी विराजे!
June 18, 2020
भजन
jambudweep
कमल के अन्दर, कमल के ऊपर, वीरप्रभू जी विराजे
तर्ज—मिलो न तुम तो……
कमल के अन्दर, कमल के ऊपर,
वीरप्रभू जी विराजे अतिशय छा गया है-२ ।। टेक.।।
कमल फूल जैसा मंदिर, अभिनव कला को दर्शाता है। हो……
श्वेत कमल मंदिर ऊपर, केसरिया झण्डा लहराता है।। हो……
अलग-अलग पंखुड़ियों से, वह खिला पुष्प मन भाए अतिशय छा गया है।।१।।
सात हाथ ऊँची मनहर, महावीर की खड्गासन प्रतिमा है। हो……
मन्द-मन्द मुस्कुराती, मानो कहती सचमुच निज की महिमा है।। हो……
बीचोंबिच, कमलासन ऊपर, खड़े सुगुण रत्नाकर अतिशय छा गया है।।२।।
महावीर बाबा तेरे द्वार पे जो इच्छा लेकर आता है। हो……
कल्पवृक्ष वीरा तेरे, सम्मुख उसे सब कुछ मिल जाता है।। हो……
भक्त तेरी, भक्ती करने को, हस्तिनागपुर आते अतिशय छा गया है।।३।।
चरणकमल तेरे भगवन, हृदय कमल में हम अपने ध्याएंगे। हो……
तब तक करेंगे भक्ती, जब तक न तुझ सा हम बन जाएंगे।। हो……
करे ‘चंदनामती’ वंदना, वीर करो भव पार अतिशय छा गया है।।४।।
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