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मेरु सुदर्शन पर करो मस्तकाभिषेक!
June 18, 2020
भजन
jambudweep
मेरु सुदर्शन पर करो मस्तकाभिषेक-२
मेरु सुदर्शन पर करो मस्तकाभिषेक-२
जन्मकल्याणक का प्रतीक जिनवर का महाभिषेक।। मस्तकाभिषेक।।टेक.।।
आदिनाथ से महावीर तक जितने जिनवर हैं।
सबके अभिषेकों से पावन सुमेरु गिरिवर है।।
क्षीर सिन्धु का निर्मल जल ले, इन्द्र सहस कलशों में भरते।
एक साथ सौधर्म इंद्र ले, ढोरें कलश अनेक।।मस्तकाभिषेक.।।१।।
उसी मेरु की प्रतिकृति, धरती पर साकार बनी।
पांडुक आदि शिलाएँ, आगम के अनुसार बनीं।।
हस्तिनागपुर में यह रचना, बनी विश्व में प्रथम अनुपमा।
ज्ञानमती माताजी की, प्रेरणा रही बस एक।।मस्तकाभिषेक।।२।।
पाँच वर्ष में इंतजार की, घड़ियाँ आती हैं।
महामहोत्सव में भक्ती से जनता आती है।।
जम्बूद्वीप देखकर सच में, आनंदित होते सब मन में।
सभी ‘चन्दनामती’ प्रभू पर, ढोरें कलश अनेक।।मस्तकाभिषेक।।३।।
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