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गंगा के तट पर बह रही है, ज्ञानगंगा की धारा!
June 18, 2020
भजन
jambudweep
गंगा के तट पर बह रही है, ज्ञानगंगा की धारा।
तर्ज-ऊँचे-ऊँचे शिखरों वाला है…….
गंगा के तट पर बह रही है, ज्ञानगंगा की धारा।
ज्ञान की धारा, ज्ञानमती जी के द्वारा।।गंगा के तट पर.।।टेक.।।
वीरान नगरी का भाग्य खिला है, सानिध्य माता का जब से मिला है।
ज्ञान का दीप जलाय रही हैं, ज्ञानज्योती के द्वारा।।गंगा के तट.।।१।।
जम्बूद्वीप बना है जब से, जंगल में मंगल हुआ है तब से।
स्वर्ग की उपमा दिखाय रही है, रचनाओं के द्वारा।।गंगा के तट.।।२।।
जनता कहे ज्ञानमति जी की कृति है, माता कहें यह तुम्हारी कृती है।
आगम की रचना दिखाय रही है, जिन शास्त्रों के द्वारा।।गंगा के तट.।।३।।
नेता भी आते अभिनेता भी आते, जम्बूद्वीप को मस्तक झुकाते।
जीवन की बगिया महकती है, आशीषों के द्वारा।।गंगा के तट.।।४।।
सूरज की लाली स्वागत है करती, संध्या समय आरति करके कहती।
किरणें सुधा बरसाय रही हैं, निज प्रतिभा के द्वारा।।गंगा के तट.।।५।।
गंगा का जल इक नदिया का जल है, जम्बूद्वीप ज्ञानसरिता का फल है।
हस्तिनापुर में बह रही है, दोनों नदि की धारा।।गंगा के तट.।।६।।
कितनी ही कृतियाँ नूतन बनी हैं, मंदिर जिनालय की महिमा घनी है।
‘‘चंदना’’ नगरी महक रही है, नंदनवन के द्वारा।।गंगा के तट.।।७।।
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