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इस व्रत में १०८ उपवास या एकाशन करना है। इसमें तिथि का कोई नियम नहीं है अथवा प्रत्येक रविवार को भी यह व्रत कर सकते हैं।
व्रत के दिन भगवान पार्श्वनाथ का अभिषेक एवं पूजा करके प्रथम समुच्चय जाप्य करना पुन: एक-एक मंत्र की जाप्य करना। १०८ व्रतों में क्रम से एक-एक जाप्य करना है। यह मंत्र सर्व मनोरथों को सफल करने वाला है। धन की वृद्धि, पुत्र की प्राप्ति आदि जिस भावना को लेकर यह व्रत किया जावेगा, वही भावना पूर्ण होगी।
व्रत पूर्णकर उद्यापन में भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजमान कराना, १०८ ग्रंथ दान देना, मुनि, आर्यिका आदि को पिच्छी-कमण्डलु आदि देना चाहिए।