इस व्रत में ४५८ उपवास या एकाशन करना है। इसमें तिथि का कोई नियम नहीं है। व्रत के दिन तेरहद्वीप के अकृत्रिम जिनमंदिर की पूजा करके प्रथम समुच्चय जाप्य करना, पुन: एक-एक मंत्र की जाप्य करना। ४५८ व्रतों में क्रम से एक-एक जाप्य करना है। यह मंत्र सर्व मनोरथों को सफल करने वाला है। धन की वृद्धि, पुत्र की प्राप्ति आदि जिस भावना को लेकर यह व्रत किया जावेगा, वही भावना पूर्ण होगी।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रौं ह्र: अ सि आ उ सा त्रयोदशद्वीपसंबंधि चतु:शताष्टपंचाशत्श्रीजिनचैत्याल-येभ्यो नम:।
ॐ ह्रीं अर्हं त्रयोदशद्वीपसंबंधि-चतु:शताष्टपंचाशत् जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।
ॐ ह्रीं अर्हं मध्यलोकद्वीपसंबंधि-चतु:शताष्टपंचाशत् जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:। जम्बूद्वीप जिनालय के ७८ मंत्र सुदर्शन मेरु के १६ जिनालय के १६ मंत्र- ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुदर्शनमेरुभद्रशालवनस्थितपूर्वदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुदर्शनमेरुभद्रशालवनस्थितदक्षिणदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुदर्शनमेरुभद्रशालवनस्थितपश्चिमदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुदर्शनमेरुभद्रशालवनस्थितउत्तरदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुदर्शनमेरुनंदनवनस्थितपूर्वदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुदर्शनमेरुनंदनवनस्थितदक्षिणदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुदर्शनमेरुनंदनवनस्थितपश्चिमदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुदर्शनमेरुनंदनवनस्थितउत्तरदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।८।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुदर्शनमेरुसौमनसवनस्थितपूर्वदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुदर्शनमेरुसौमनसवनस्थितदक्षिणदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुदर्शनमेरुसौमनसवनस्थितपश्चिमदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।११।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुदर्शनमेरुसौमनसवनस्थितउत्तरदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुदर्शनमेरुपांडुकवनस्थितपूर्वदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुदर्शनमेरुपांडुकवनस्थितदक्षिणदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुदर्शनमेरुपांडुकवनस्थितपश्चिमदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुदर्शनमेरुपांडुकवनस्थितउत्तरदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१६।।
चार गजदंतपर्वत के ४ जिनालय के ४ मंत्र-
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-माल्यवद्गजदंतपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-महासौमनसगजदंतपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१८।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-वद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२०।।
जम्बू-शाल्मलि दो वृक्षों के २ जिनालय के २ मंत्र-
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-जंबूवृक्षस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-शाल्मलिवृक्षस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२२।।
षट् कुलाचल के ६ जिनालय के ६ मंत्र-
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-रूक्मिपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-शिखरिपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२८।।
सोलह वक्षार पर्वत के १६ जिनालय के १६ मंत्र
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३८।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-चन्द्रमालवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४४।।
३४ विजयार्ध के ३४ जिनालय के ३४ मंत्र-
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-कच्छाविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुकच्छाविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-महाकच्छाविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-कच्छकावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४८।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-आवर्ताविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-लांगलावर्ताविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।५०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-पुष्कलाविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।५१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-पुष्कलावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।५२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-वत्साविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।५३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुवत्साविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।५४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-महावत्साविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।५५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-वत्सकावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।५६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-रम्याविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।५७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुरम्यकाविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।५८।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-रमणीयाविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।५९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-मंगलावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।६०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-पद्माविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।६१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुपद्माविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।६२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-महापद्माविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।६३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-पद्मकावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।६४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-शंखाविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।६५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नलिनाविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।६६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-कुमुदविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।६७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सरित्विदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।६८।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-वप्राविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।६९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुवप्राविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।७०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-महावप्राविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।७१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-वप्रकावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।७२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-गंधाविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।७३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुगंधाविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।७४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-गंधिलाविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।७५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-गंधमालिनीविदेहस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।७६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।७७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रस्थितविजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।७८।।
पूर्व धातकीखण्ड द्वीप जिनालय मंत्र
धातकी खण्डद्वीप के २ इष्वाकार पर्वत जिनालय के २ मंत्र-== ॐ ह्रीं धातकीखण्डद्वीपसंबंधि-दक्षिणदिग्-इष्वाकारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।७९।। ॐ ह्रीं धातकीखण्डद्वीपसंबंधि-उत्तरदिग्-इष्वाकारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।८०।। == विजयमेरू के १६ जिनालय के १६ मंत्र-== ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजयमेरुभद्रशालवनस्थितपूर्वदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।८१।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजयमेरुभद्रशालवनस्थितदक्षिणदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।८२।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजयमेरुभद्रशालवनस्थितउत्तरदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।८४।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजयमेरुनंदनवनस्थितपूर्वदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।८५।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजयमेरुनंदनवनस्थितदक्षिणदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।८६।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजयमेरुनंदनवनस्थितपश्चिमदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।८७।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजयमेरुनंदनवनस्थितउत्तरदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।८८।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजयमेरुसौमनसवनस्थितपूर्वदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।८९।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजयमेरुसौमनसवनस्थितदक्षिणदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।९०।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजयमेरुसौमनसवनस्थितपश्चिमदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।९१।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजयमेरुसौमनसवनस्थितउत्तरदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।९२।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजयमेरुपांडुकवनस्थितपूर्वदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।९३।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजयमेरुपांडुकवनस्थितदक्षिणदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।९४।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजयमेरुपांडुकवनस्थितपश्चिमदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।९५।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजयमेरुपांडुकवनस्थितउत्तरदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।९६।। == चार गजदंत के ४ जिनालय के ४ मंत्र-== ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-माल्यवद्गजदंतपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।९७।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंंबंधि-महासौमनसगजदंतपर्वतस्थित-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।९८।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्थित-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।९९।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्थित-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१००।। == धातकी-शाल्मलि दो वृक्षों के २ जिनालय के २ मंत्र-== ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-धातकीवृक्षस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१०१।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शाल्मलिवृक्षस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१०२।। == छह कुलाचलों के ६ जिनालयों के ६ मंत्र-== ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१०३।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१०४।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१०५।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१०६।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रूक्मिपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१०७।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरिपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१०८।। == सोलह वक्षार पर्वत के १६ जिनालय के १६ मंत्र-== ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१०९।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।११०।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१११।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयाजिनबिम्बेभ्यो नम:।।११२।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।११३।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।११४।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।११५।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।११६।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।११७।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।११८।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।११९।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१२०।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-चन्द्रमालवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१२१।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१२२।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१२३।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१२४।। == ३४ विजयार्ध के ३४ जिनालय के ३४ मंत्र-== ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-कच्छाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१२५।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुकच्छाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१२६।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाकच्छाविदेहस्थित-विजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१२७।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-कच्छकावतीविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१२८।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-आवर्ताविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१२९।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-लांगलावर्ताविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१३०।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पुष्कलाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१३१।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पुष्कलावतीविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१३२।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-वत्साविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१३३।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुवत्साविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१३४।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महावत्साविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१३५।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-वत्सकावतीविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१३६।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रम्याविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१३७।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुरम्यकाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१३८।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रमणीयाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१३९।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-मंगलावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१४०।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पद्माविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१४१।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुपद्माविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१४२।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महापद्माविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१४३।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पद्मकावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१४४।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शंखाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१४५।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नलिनाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१४६।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-कुमुदविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१४७।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सरित्विदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१४८।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-वप्राविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१४९।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुवप्राविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१५०।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महावप्राविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१५१।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-वप्रकावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१५२।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१५३।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुगंधाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१५४।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधिलाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१५५।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधमालिनीविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१५६।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१५७।। ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१५८।। पश्चिम धातकीखंड द्वीप जिनालय मंत्र == अचलमेरु के १६ जिनमंदिर के १६ मंत्र-== ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अचलमेरुभद्रशालवनस्थितपूर्वदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१५९।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अचलमेरुभद्रशालवनस्थितदक्षिणदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१६०।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अचलमेरुभद्रशालवनस्थितपश्चिमदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१६१।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अचलमेरुभद्रशालवनस्थितउत्तरदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१६२।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अचलमेरुनंदनवनस्थितपूर्वदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१६३।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अचलमेरुनंदनवनस्थितदक्षिणदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१६४।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अचलमेरुनंदनवनस्थितपश्चिमदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१६५।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अचलमेरुनंदनवनस्थितउत्तरदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१६६।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अचलमेरुसौमनसवनस्थितपूर्वदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१६७।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अचलमेरुसौमनसवनस्थितदक्षिणदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१६८।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अचलमेरुसौमनसवनस्थितपश्चिमदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१६९।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अचलमेरुसौमनसवनस्थितउत्तरदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१७०।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अचलमेरुपांडुकवनस्थितपूर्वदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१७१।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अचलमेरुपांडुकवनस्थितदक्षिणदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१७२।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अचलमेरुपांडुकवनस्थितपश्चिमदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१७३।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अचलमेरुपांडुकवनस्थितउत्तरदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१७४।। == चार गजदंतपर्वत के ४ जिनालय के ४ मंत्र-== ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-माल्यवद्गजदंतपर्वतस्थित-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१७५।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महासौमनसगजदंतपर्वतस्थित-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१७६।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्थित-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१७७।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्थित-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१७८।। == धातकी-शाल्मलि दो वृक्षों के २ जिनालय के २ मंत्र-== ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-धातकीवृक्षस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१७९।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शाल्मलिवृक्षस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१८०।। == षट् कुलाचल के ६ जिनालय के ६ मंत्र-== ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१८१।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१८२।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१८३।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१८४।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रूक्मिपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१८५।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरिपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१८६।। == सोलहवक्षार पर्वत के १६ जिनालय के १६ मंत्र-== ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्थित-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१८७।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्थित-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१८८।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्थित-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१८९।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्थित-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१९०।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१९१।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१९२।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१९३।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्थित- जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१९४।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१९५।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्थित- जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१९६।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्थित- जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१९७।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१९८।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-चन्द्रमालवक्षारपर्वतस्थित- जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१९९।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२००।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्थित- जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।२०१।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२०२।। == ३४ विजयार्ध के ३४ जिनालय के ३४ मंत्र-== ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-कच्छाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२०३।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुकच्छाविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२०४।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाकच्छाविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२०५।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-कच्छकावतीविदेहस्थित-विजयार्धपर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२०६।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-आवर्ताविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२०७।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-लांगलावर्ताविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२०८।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पुष्कलाविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२०९।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पुष्कलावतीविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२१०।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-वत्साविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२११।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुवत्साविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२१२।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महावत्साविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२१३।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-वत्सकावतीविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२१४।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रम्याविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२१५।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुरम्यकाविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२१६।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रमणीयाविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२१७।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-मंगलावतीविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२१८।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पद्माविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२१९।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुपद्माविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२२०।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महापद्माविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२२१।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पद्मकावतीविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२२२।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शंखाविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२२३।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नलिनाविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२२४।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-कुमुदविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२२५।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सरित्विदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२२६।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-वप्राविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२२७।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुवप्राविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२२८।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महावप्राविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२२९।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-वप्रकावतीविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२३०।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधाविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२३१।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुगंधाविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२३२।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधिलाविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२३३।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधमालिनीविदेहस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२३४।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२३५।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रस्थितविजयार्ध-पर्वतजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२३६।। पूर्व पुष्करार्ध द्वीप जिनालय मंत्र == पुष्करार्धद्वीप के दो इष्वाकारपर्वत जिनालय के २ मंत्र-== ॐ ह्रीं पुष्करार्धद्वीपसंबंधि-दक्षिणदिग्-इष्वाकारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२३७।। ॐ ह्रीं पुष्करार्धद्वीपसंबंधि-उत्तरदिग्-इष्वाकारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२३८।। == मन्दरमेरू के १६ जिनालय के १६ मंत्र-== ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-मन्दरमेरुभद्रशालवनस्थितपूर्वदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२३९।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-मन्दरमेरुभद्रशालवनस्थितदक्षिणदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२४०।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-मन्दरमेरुभद्रशालवनस्थितपश्चिमदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२४१।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-मन्दरमेरुभद्रशालवनस्थितउत्तर-दिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२४२।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-मन्दरमेरुनंदनवनस्थितपूर्वदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२४३।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-मन्दरमेरुनंदनवनस्थितदक्षिणदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२४४।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-मन्दरमेरुनंदनवनस्थितपश्चिमदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२४५।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-मन्दरमेरुनंदनवनस्थितउत्तरदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२४६।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-मन्दरमेरुसौमनसवनस्थितपूर्वदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२४७।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-मन्दरमेरुसौमनसवनस्थितदक्षिणदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२४८।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-मन्दरमेरुसौमनसवनस्थितपश्चिमदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२४९।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-मन्दरमेरुसौमनसवनस्थितउत्तरदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२५०।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-मन्दरमेरुपांडुकवनस्थितपूर्वदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२५१।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-मन्दरमेरुपांडुकवनस्थितदक्षिणदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२५२।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-मन्दरमेरुपांडुकवनस्थितपश्चिमदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२५३।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-मन्दरमेरुपांडुकवनस्थितउत्तरदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२५४। == चार गजदंत पर्वत के ४ जिनालय के ४ मंत्र-== ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-माल्यवद्गजदंतपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२५५।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महासौमनसगजदंतपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२५६।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२५७।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२५८।। == पुष्कर-शाल्मलि दो वृक्षों के २ जिनालय के २ मंत्र-== ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पुष्करवृक्षस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२५९।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शाल्मलिवृक्षस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२६०।। == षट्कुलाचल के ६ जिनालय के ६ मंत्र-== ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२६१।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२६२।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२६३।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२६४।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२६५।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरिपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२६६।। == सोलह वक्षारपर्वत के १६ जिनालय के १६ मंत्र-== ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२६७।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२६८।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२६९।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२७०।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२७१।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२७२।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२७३।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२७४।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२७५।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२७६।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२७७।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२७८।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-चन्द्रमालवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२७९।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२८०।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२८१।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२८२।। == ३४ विजयार्ध के ३४ जिनालय के ३४ मंत्र-== ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-कच्छाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२८३।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुकच्छाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२८४।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाकच्छाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२८५।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-कच्छकावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२८६।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-आवर्ताविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२८७।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-लांगलावर्ताविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२८८।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पुष्कलाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२८९।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पुष्कलावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२९०।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-वत्साविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२९१।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुवत्साविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२९२।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महावत्साविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२९३।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-वत्सकावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२९४।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रम्याविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२९५।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुरम्यकाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२९६।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रमणीयाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२९७।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-मंगलावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२९८।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पद्माविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२९९।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुपद्माविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२३०।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महापद्माविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३०१।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पद्मकावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३०२।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शंखाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३०३।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नलिनाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३०४।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-कुमुदविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३०५।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सरित्विदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३०६।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-वप्राविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३०७।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुवप्राविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३०८।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महावप्राविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३०९।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-वप्रकावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३१०।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३११।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुगंधाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३१२।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधिलाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३१३।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधमालिनीविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३१४।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३१५।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३१६।। पश्चिम पुष्करार्ध द्वीप जिनालय मंत्र == पाँचवे विद्युन्माली मेरु के १६ जिनालय के १६ मंत्र-== ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युन्मालिमेरुभद्रशालवनस्थितपूर्वदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३१७।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युन्मालिमेरुभद्रशालवनस्थितदक्षिणदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३१८।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युन्मालिमेरुभद्रशालवनस्थितपश्चिमदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३१९।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युन्मालिमेरुभद्रशालवनस्थितउत्तरदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३२०।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युन्मालिमेरुनंदनवनस्थितपूर्वदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३२१।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युन्मालिमेरुनंदनवनस्थितदक्षिणदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३२२।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युन्मालिमेरुनंदनवनस्थितपश्चिमदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३२३।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युन्मालिमेरुनंदनवनस्थितउत्तरदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३२४।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युन्मालिमेरुसौमनसवनस्थितपूर्वदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३२५।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युन्मालिमेरुसौमनसवनस्थितदक्षिणदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३२६।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युन्मालिमेरुसौमनसवनस्थितपश्चिमदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३२७।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युन्मालिमेरुसौमनसवनस्थितउत्तरदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३२८।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युन्मालिमेरुपांडुकवनस्थितपूर्वदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३२९।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युन्मालिमेरुपांडुकवनस्थितदक्षिणदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३३०।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युन्मालिमेरुपांडुकवनस्थितपश्चिमदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३३१।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युन्मालिमेरुपांडुकवनस्थितउत्तरदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३३२।। == चार गजदंत पर्वत के ४ जिनालय के ४ मंत्र-== ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-माल्यवद्गजदंतपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३३३।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महासौमनसगजदंतपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३३४।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३३५।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३३६।। == पुष्कर-शाल्मलि दो वृक्षों के २ जिनालय के २ मंत्र-== ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पुष्करवृक्षस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३३७।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शाल्मलिवृक्षस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३३८।। == षट् कुलाचल के ६ जिनालय के ६ मंत्र-== ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३३९।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३४०।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३४१।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३४२।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रूक्मिपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३४३।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरिपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३४४।। == सोलह वक्षार पर्वत के १६ जिनालय के १६ मंत्र-== ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३४५।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३४६।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३४७।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३४८।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३४९।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३५०।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३५१।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३५२।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३५३।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३५४।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३५५।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३५६।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-चन्द्रमालवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३५७।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३५८।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३५९।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३६०।। == ३४ विजयार्ध के ३४ जिनालय के ३४ मंत्र-== ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-कच्छाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३६१।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुकच्छाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३६२।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाकच्छाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३६३।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-कच्छकावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३६४।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-आवर्ताविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३६५।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-लांगलावर्ताविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३६६।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पुष्कलाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३६७।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पुष्कलावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३६८।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-वत्साविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३६९।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुवत्साविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३७०।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महावत्साविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३७१।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-वत्सकावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३७२।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रम्याविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३७३।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुरम्याविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३७४।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रमणीयाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३७५।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-मंगलावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३७६।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पद्माविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३७७।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुपद्माविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३७८। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महापद्माविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३७९।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पद्मकावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३८०।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शंखाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३८१।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नलिनाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३८२।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-कुमुदविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३८३।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सरित्विदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३८४।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-वप्राविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३८५।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुवप्राविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३८६।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महावप्राविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३८७।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-वप्रकावतीविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३८८।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३८९।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुगंधाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३९०।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधिलाविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३९१।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधमालिनीविदेहस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३९२।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३९३।। ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रस्थितविजयार्धपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३९४।। == मानुषोत्तर पर्वत के चार जिनालय के ४ मंत्र== ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतसंबंधि-पूर्वदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३९५।। ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतसंबंधि-दक्षिणदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३९६।। ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतसंबंधि-पश्चिमदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३९७।। ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतसंबंधि-उत्तरदिग्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३९८।। नंदीश्वर द्वीप जिनालय मंत्र == नंदीश्वरद्वीप के पूर्व दिशा के १३ जिनालय के १३ मंत्र-== ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थपूर्वदिक्संबंधि-नंदावापीमध्यस्थितदधिमुखपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३९९।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थपूर्वदिक्संबंधि-नंदावतीमध्यस्थितदधिमुखपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४००।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थपूर्वदिक्संबंधि-नंदोत्तरावापीमध्यस्थितदधिमुख-पर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४०१।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थपूर्वदिक्संबंधि-नंदिघोषावापीमध्यस्थितदधिमुख-पर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४०२।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थपूर्वदिक्संबंधि-नंदावापीईशानकोणस्थितरतिकर-पर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४०३।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थपूर्वदिक्संबंधि-नंदावापीआग्नेयकोणस्थित-रतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४०४।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थपूर्वदिक्संबंधि-नंदावतीवापीआग्नेयकोणस्थित-रतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४०५।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थपूर्वदिक्संबंधि-नंदावतीवापीनैऋत्यकोणस्थित-रतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४०६।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थपूर्वदिक्संबंधि-नंदोत्तरावापीनैऋत्यकोण-स्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४०७।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थपूर्वदिक्संबंधि-नंदोत्तरावापीवायव्यकोणस्थित-रतिकर पर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४०८।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थपूर्वदिक्संबंधि-नंदिघोषावापीवायव्यकोणस्थित-रतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४०९।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थपूर्वदिक्संबंधि-नंदिघोषावापीईशानकोणस्थित-रतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४१०।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थपूर्वदिक्संबंधि-अंजनगिरिस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४११।। == नंदीश्वरद्वीप में दक्षिणदिशा के १३ जिनालय के १३ मंत्र-== ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थदक्षिणदिक्संंबंधि-अरजावापीमध्यस्थितदधिमुखपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४१२।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थदक्षिणदिक्संंबंधि-विरजावापीमध्यस्थितदधिमुखपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४१३।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थदक्षिणदिक्संंबंधि-अशोकावापीमध्यस्थितदधिमुखपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४१४।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थदक्षिणदिक्संंबंधि-वीतशोकावापीमध्यस्थितदधिमुखपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४१५।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थदक्षिणदिक्संंबंधि-अरजावापीईशानकोणस्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४१६।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थदक्षिणदिक्संंबंधि-अरजावापीआग्नेयकोणस्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४१७।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थदक्षिणदिक्संंबंधि-विरजावापीआग्नेयकोणस्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४१८।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थदक्षिणदिक्संंबंधि-विरजावापीनैऋत्यकोणस्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४१९।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थदक्षिणदिक्संंबंधि-अशोकावापीनैऋत्यकोणस्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४२०।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थदक्षिणदिक्संंबंधि-अशोकावापीवायव्यकोणस्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४२१।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थदक्षिणदिक्संंबंधि-वीतशोकावापीवायव्यकोण-स्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४२२।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थदक्षिणदिक्संंबंधि-वीतशोकावापीईशानकोणस्थित-रतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४२३।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थदक्षिणदिक्संंबंधि-अंजनगिरिस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।४२४।। == नंदीश्वरद्वीप में पश्चिम दिशा के १३ जिनालय के १३ मंत्र-== ॐ ह्री नंदीश्वरद्वीपस्थ-पश्चिमदिक्संंबंधि-विजयावापीमध्यस्थितदधि-मुखपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४२५।। ॐ ह्री नंदीश्वरद्वीपस्थ-पश्चिमदिक्संंबंधि-वैजयंतीवापीमध्यस्थित-दधिमुखपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४२६।। ॐ ह्री नंदीश्वरद्वीपस्थ-पश्चिमदिक्संंबंधि-जयंतीवापीमध्यस्थित-दधिमुखपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४२७।। ॐ ह्री नंदीश्वरद्वीपस्थ-पश्चिमदिक्संंबंधि-अपराजितावापीमध्यस्थित-दधिमुखपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४२८।। ॐ ह्री नंदीश्वरद्वीपस्थ-पश्चिमदिक्संंबंधि-विजयावापीईशानकोणस्थित-रतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४२९।। ॐ ह्री नंदीश्वरद्वीपस्थ-पश्चिमदिक्संंबंधि-विजयावापी आग्नेयकोणस्थित-रतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४३०।। ॐ ह्री नंदीश्वरद्वीपस्थ-पश्चिमदिक्संंबंधि-वैजयंतीवापीआग्नेयकोणस्थित-रतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४३१।। ॐ ह्री नंदीश्वरद्वीपस्थ-पश्चिमदिक्संबंधि-वैजयंतीवापीनैऋत्यकोण-स्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४३२।। ॐ ह्री नंदीश्वरद्वीपस्थ-पश्चिमदिक्संबंधि-जयंतीवापीनैऋत्यकोण-स्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४३३।। ॐ ह्री नंदीश्वरद्वीपस्थ-पश्चिमदिक्संंबंधि-जयंतीवापीवायव्य-कोणस्थित-रतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४३४।। ॐ ह्री नंदीश्वरद्वीपस्थ-पश्चिमदिक्संंबंधि-अपराजितावापीवायव्यकोण-स्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४३५।। ॐ ह्री नंदीश्वरद्वीपस्थ-पश्चिमदिक्संंबंधि-अपराजितावापीईशानकोण-स्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४३६।। ॐ ह्री नंदीश्वरद्वीपस्थ-पश्चिमदिक्संंबंधि-अंजनगिरिस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४३७।। == नंदीश्वरद्वीप में उत्तर दिशा के १३ जिनालय के १३ मंत्र-== ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थ-उत्तरदिक्संबंधि-रम्यावापीमध्यस्थितदधिमुखपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४३८।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थ-उत्तरदिक्संबंधि-रमणीयावापीमध्यस्थितदधिमुखपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४३९।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थ-उत्तरदिक्संबंधि-सुप्रभावापीमध्यस्थितदधिमुखपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४४०।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थ-उत्तरदिक्संबंधि-सर्वतोभद्रावापीमध्यस्थितदधिमुखपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४४१।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थ-उत्तरदिक्संबंधि-रम्यावापीईशानकोणस्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४४२।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थ-उत्तरदिक्संबंधि-रम्यावापीआग्नेयकोणस्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४४३।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थ-उत्तरदिक्संबंधि-रमणीयावापीआग्नेयकोणस्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४४४।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थ-उत्तरदिक्संबंधि-रमणीयावापीनैऋत्य-कोणस्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४४५।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थ-उत्तरदिक्संबंधि-सुप्रभावापीनैऋत्य-कोणस्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४४६।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थ-उत्तरदिक्संबंधि-सुप्रभावापीवायव्यकोणस्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४४७।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थ-उत्तरदिक्संबंधि-सर्वतोभद्रावापीवायव्यकोण-स्थितरतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४४८।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थ-उत्तरदिक्संबंधि-सर्वतोभद्रावापीईशानकोणस्थित-रतिकरपर्वत-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४४९।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थ-उत्तरदिक्संबंधि-अंजनगिरिस्थितजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४५०।। == कुण्डलवर पर्वत के ४ जिनालय के ४ मंत्र== ॐ ह्रीं कुण्डलवरद्वीपसंबंधि-कुण्डलवरपर्वतस्थितपूर्वदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४५१।। ॐ ह्रीं कुण्डलवरद्वीपसंबंधि-कुण्डलवरपर्वतस्थितदक्षिणदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४५२।। ॐ ह्रीं कुण्डलवरद्वीपसंबंधि-कुण्डलवरपर्वतस्थितपश्चिमदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४५३।। ॐ ह्रीं कुण्डलवरद्वीपसंबंधि-कुण्डलवरपर्वतस्थितउत्तरदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४५४।। == रूचकवरपर्वत के ४ जिनालय के ४ मंत्र== ॐ ह्रीं रुचकवरद्वीपसंबंधि-रुचकवरपर्वतस्थितपूर्वदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४५५।। ॐ ह्रीं रुचकवरद्वीपसंबंधि-रुचकवरपर्वतस्थितदक्षिणदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४५६।। ॐ ह्रीं रुचकवरद्वीपसंबंधि-रुचकवरपर्वतस्थितपश्चिमदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४५७।। ॐ ह्रीं रुचकवरद्वीपसंबंधि-रुचकवरपर्वतस्थितउत्तरदिग्-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४५८।।