(१०) १३ अगस्त १९८९, श्रावण शुक्ला ग्यारस जम्बूद्वीप स्थल पर पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी की पथ-अनुगामिनी एवं आज्ञाकारिणी शिष्या बाल ब्र. माधुरी जैनकी आर्यिका दीक्षा, जिनका नाम आर्यिका श्री चंदनामती माताजी रखा गया।
(११) ८ से १२ अक्टूबर १९९२ में जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर में ‘अंतर्राज्यीय चरित्र निर्माण संगोष्ठी’ का आयोजन।
(१२) २७ से ३१ अक्टूबर १९९३ में संस्थान द्वारा अयोध्या में ‘भारतीय संस्कृति के आद्यप्रणेता भगवान ऋषभदेव’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन।
(१३) १३ से २४ फरवरी १९९४ में प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की जन्मभूमि अयोध्या में बड़ी मूर्ति स्थल पर विराजमान ३१ फुट उत्तुंग भगवान ऋषभदेव की खड्गासन प्रतिमा का महाकुंभ मस्तकाभिषेक महोत्सव। संस्थान के सहयोग से प्रति १० वर्षानुसार यहाँ सन् २००५ में भी महाकुंभ मस्तकाभिषेक सम्पन्न किया गया।
(१४) ४ से ७ अक्टूबर १९९५ में जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर में ‘गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती साहित्य संगोष्ठी’ का आयोजन।
(१५) ४ से १३ अक्टूबर १९९७ तक राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा द्वारा उद्घाटित ‘चौबीस कल्पद्रुम महामण्डल विधान’ का ऐतिहासिक आयोजन।
(१६) ९ अप्रैल १९९८ में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा तालकटोरा स्टेडियम-दिल्ली से
‘भगवान ऋषभदेव समवसरण श्रीविहार रथ’ का भारत भ्रमण हेतु प्रवर्तन।
(१७) ४ से ६ अक्टूबर १९९८ में जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर में ‘भगवान ऋषभदेव राष्ट्रीय कुलपति सम्मेलन‘ का आयोजन।