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मिल गया मानव जनम, भव भव के पुण्य प्रताप से!
June 12, 2020
भजन
jambudweep
मिल गया मानव
तर्ज—सन्त साधू……………………
मिल गया मानव जनम, भव भव के पुण्य प्रताप से, नाथ!
अब सद्बुद्धि दे दो, छूट जाऊँ पाप से।। टेक.।।
जीव के संग कर्म का, सम्बन्ध काल अनादि से।
इस ही क्रम से चल रहा, संसार द्वन्द अनादि से।।
मात्र नरतन से ही हो, सकता है द्वन्द समाप्त ये।।नाथ अब सदबुद्धि……।।१।।
स्वर्ण का पाषाण जैसे, शुद्ध होता अग्नि से।
आतमा भी वैसे ही हो, शुद्ध तप की अग्नि से।।
नहिं तपस्या होवे जब तक, पाप काटूँ जाप से। नाथ! अब सदबुद्धि……।।२।।
कमल कीचड़ में ही खिलता, है पता संसार को।
फिर भी निज सौन्दर्य से, पाता है सबका प्यार वो।।
आत्मा का कमल यूँ ही, ‘चन्दना’ सुखसार है। नाथ! अब सदबुद्धि……।।३।।
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