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मैं समयसार को निज आतम में ध्याऊँगा!
June 12, 2020
भजन
jambudweep
मैं समयसार को
मैं समयसार को निज आतम में ध्याऊँगा,
बन अन्तरात्म शुद्धात्म भावना भाऊँगा।
ये क्या है ? परमागम है, आध्यात्मिकता का साधन है।
यह कुन्दकुन्द का कुन्दन है, जिससे होता मन पावन है।। ये क्या है……।। टेक.।।
प्रभु कुन्दकुन्द ने समयसार को समझाया,
आत्मा का सहज स्वरूप ग्रन्थ में दरशाया।
ये क्या है ? प्रभु महिमा है, आतम स्वभाव की गरिमा है। ये क्या है……।।१।।
श्रावक गृहस्थ में भी वैरागी बन करके,
शुद्धात्म अवस्था किंचित॒ भी नहिं पा सकते ।
ये क्या है ? जिनवाणी है, जन-जन की यही कल्याणी है।
मुनिधर्म हमें सिखलाती है, आत्मा का सार बताती है।। ये क्या है……।।२।।
अशुभोपयोग को तज हम शुभ में लग जावें,
यह भाव ‘चंदनामती’ शुद्धता पा जावें।
ये क्या है ? जिनभक्ती है, बस समयसार की शक्ती है।
जो जन इसका श्रद्धान करें, वे निज स्वरूप का पान करें।। ये क्या है……।।३।।
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