जिनवाणी के करणानुयोग विभाग में जैन भूगोल की जानकारी आती है । इस विषय में “ऊर्ध्वलोक रचना” से जुड़े हुए कुछ प्रश्न प्रस्तुत है ।
प्रश्नोत्तर प्रस्तुतकर्ता – पंकज जैन शाह- चिंचवड, पुणे, महाराष्ट्र
ऊर्ध्वलोक कहाँ है और उसमे किस किसकी रचना है ?१४ राजु की ऊँचाई वाले लोकाकाश के उपरि भाग मे १ लाख ४० योजन कम ७ राजू का उर्ध्वलोक है, जिसमे १६ स्वर्ग, ९ ग्रैवेयक, ९ अनुदिश, ५ अनुत्तर और सिद्धशिला है ।ऊर्ध्वलोक मे स्वर्गो की अलग अलग ऊंचाइया कितनी है ?* मध्यलोक के उपरी भाग मे सौधर्म विमान के ध्वजदंड तक १ लाख ४० योजन कम १ १/२ राजू * उसके उपर के १ १/२ राजू मे, पहला और दूसरा स्वर्ग(सौधर्म और ईशान)है। * उसके उपर के १/२ राजू मे, तिसरा और चौथा स्वर्ग (सानत्कुमार् और माहेन्द्र) है। * उसके उपर के १/२ राजू मे, पाँचवा और छठा स्वर्ग (ब्रह्म और ब्रह्मोत्तर)है। * उसके उपर के १/२ राजू मे, साँतवा और आँठवा स्वर्ग (लांतव और कापिष्ठ)है। * उसके उपर के १/२ राजू मे, नौवा और दसवाँ स्वर्ग (शुक्र और महाशुक्र)है। * उसके उपर के १/२ राजू मे, ग्यारहवा और बारहवा स्वर्ग (सतार और सहस्त्रार्)है। * उसके उपर के १/२ राजू मे, तेरहवा और चौदहवा स्वर्ग (आनत और प्राणत)है। * उसके उपर के १/२ राजू मे, पन्द्रहवा और सोलहवा स्वर्ग (आरण और अच्युत) है। * उसके उपर के १ राजू मे, ९ ग्रैवेयक, ९ अनुदिश, ५ अनुत्तर और सिद्धशिला पृथ्वी है। मध्यलोक से सिद्धशिला तक लोक की चौडाई बढने – घटने का क्रम कैसा है ?* मध्यलोक् मे : १ राजू * पहले और दूसरे स्वर्ग(सौधर्म और ईशान)के अंत मे : २ ५/७ राजू * तिसरे और चौथे स्वर्ग (सानत्कुमार् और माहेन्द्र)के अंत मे : ४ ३/७ राजू * पाँचवे और छठे स्वर्ग (ब्रह्म और ब्रह्मोत्तर)के अंत मे : ५ राजू * साँतवे और आँठवे स्वर्ग (लांतव और कापिष्ठ)के अंत मे : ४ ३/७ राजू * नौवे और दसवे स्वर्ग (शुक्र और महाशुक्र)के अंत मे : ३ ६/७ राजू * ग्यारहवे और बारहवे स्वर्ग (सतार और सहस्त्रार्)के अंत मे : ३ २/७ राजू * तेरहवे और चौदहवे स्वर्ग (आनत और प्राणत)के अंत मे : २ ५/७ राजू * पन्द्रहवे और सोलहवे स्वर्ग (आरण और अच्युत)के अंत मे : २ १/७ राजू * ९ ग्रैवेयक, ९ अनुदिश, ५ अनुत्तर और सिद्धशिला पृथ्वी तक : १ राजू नोट : अपने अपने अंतिम इन्द्रक विमान संबंधी ध्वजदंड के अग्रभाग तक उन उन स्वर्गो का अंत समझना चहिए। ऊर्ध्वलोक का घनफल कितना है?* ऊर्ध्वलोक मे मध्यलोक के उपर की पूर्व-पश्चिम् चौडाई १ राजू है। तथा आगे ब्रह्म स्वर्ग के यहाँ ५ राजू है। (कुल ६ राजू) * यह कुल चौडाई २ विभागो मे मिलकर है इसलिये ब्रह्म स्वर्ग तक की अॅवरेज चौडाई निकालने के लिये, इस मे २ का भाग देने से ३ राजू हुए।(६/२ = ३) * ब्रह्म स्वर्ग तक की ऊंचाई ३ १/२ राजू और मोटाई ७ राजू है * इस प्रकार ब्रह्म स्वर्ग तक का घनफल = ऊँचाई × चौडाई × मोटाई = ३ १/२ राजू × ३ राजू × ७ राजू = ७३ १/२ घनराजू है। इतना ही घनफल ब्रह्म स्वर्ग से आगे लोक के अंत तक है, इसलिए उर्ध्वलोक का कुल घनफल ७३ १/२ × २ = १७४ घनराजू है।