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तेरे दर्शन को मन करता है!
June 15, 2020
भजन
jambudweep
तेरे दर्शन को
तर्ज—तुझसे मिलनको……
तेरे दर्शन को मन करता है-२ हे माता! तेरे……।।टेक.।।
बालपन से तुम्हें धर्म भाता रहा।
मोह का तुमसे कोई न नाता रहा।।
तेरे चरणों मे सिर झुकता है-२।। माता……।।१।।
ब्राह्मी और चन्दना की कथाएं सुनीं।
तुमको संयोग से मिल गए फिर मुनी।।
तुम सम बनने को मन करता है-२।। माता……।।२।।
बालसतियों की बगिया का पहला कुसुम।
ज्ञानमति नाम से खिल गया था प्रथम।।
ज्ञान लेने को दिल करता है-२।। माता……।।३।।
तेरी कृतियों ने अमरत्व को पा लिया।
युग का इतिहास तुमने स्वयं लिख दिया।।
उन्हें पढ़ने को मन करता है-२।। माता……।।४।।
शब्दों की माला चरणों में अर्पण करूँ।
‘‘चन्दनामति’’ तुझे सब समर्पण करूँ।।
तेरे चरणों में सिर झुकता है-२।। माता……।।५।।
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