अपने ज्ञान की वृद्धि हेतु निम्न मंत्रों का प्रतिदिन पाठ करें। विशेष रूप से आश्विन शुक्ला एकम से आश्विन शुक्ला पूर्णिमा तक (१५ दिन तक) शारदा पक्ष में इन मंत्रों का प्रातःकाल पाठ करने से ज्ञान में पूर्ण चन्द्रमा की तरह वृद्धि होगी।
अनुष्टुप
१. ॐ ह्रीं ज्ञानमत्यै नमः
२. ॐ ह्रीं आर्यिकायै नमः
३. ॐ ह्रीं गणिन्यै नमः
४. ॐ ह्रीं जगन्मात्रे नमः
५. ॐ ह्रीं चारित्रचन्द्रिकायै नमः
६. ॐ ह्रीं युगप्रवर्तिकायै नमः
७. ॐ ह्रीं बालब्रह्मचारिण्यै नमः
८. ॐ ह्रीं वीरमत्यै नमः
९. ॐ ह्रीं सरस्वत्यै नमः
१०. ॐ ह्रीं तीर्थोद्धारिकायै नमः
११. ॐ ह्रीं वात्सल्यमूर्तये नमः
१२. ॐ ह्रीं उपचारमहाव्रतिकायै नमः
१३. ॐ ह्रीं रत्नत्रयधारिण्यै नमः
१४. ॐ ह्रीं उपचारषट्त्रिंशतमूलगुणधारिण्यै नमः
१५. ॐ ह्रीं पिण्डस्थध्यानसंयुक्तायै नमः
१६. ॐ ह्रीं अभीक्ष्णज्ञानोपयोगयुक्तायै नमः
१७. ॐ ह्रीं जबूद्वीपप्रेरिकायै नमः
१८. ॐ ह्रीं ज्ञानज्योतिप्रवर्तिकायै नमः
१९. ॐ ह्रीं विधानवाचस्पतये नमः
२०. ॐ ह्रीं साहित्यवारिधये नमः
२१. ॐ ह्रीं प्रथमग्रंथरचनाकर्त्र्यै नमः
२२. ॐ ह्रीं अष्टसहस्रीअनुवादिकायै नमः
२३. ॐ ह्रीं ज्ञानध्यानसमन्वितायै नमः
२४. ॐ ह्रीं सन्मार्गदर्शिकायै नमः
२५. ॐ ह्रीं ब्राह्मीपथप्रदर्शिकायै नमः
२६. ॐ ह्रीं आवश्यकनिरतायै नमः
२७. ॐ ह्रीं शिष्यानुग्रहप्रवीणायै नमः
२८. ॐ ह्रीं हितोपदेशिकायै नमः
२९. ॐ ह्रीं स्थितिकरणांगधारिकायै नमः
३०. ॐ ह्रीं अपरिस्राविगुणसंयुक्तायै नमः
३१. ॐ ह्रीं कौमार्यतपोयुक्तायै नमः
३२. ॐ ह्रीं अप्रतिमप्रतिभायै नमः
३३. ॐ ह्रीं चैतन्यतीर्थस्वऊश्पायै नमः
३४. ॐ ह्रीं सुकुमारिकायै नमः
३५. ॐ ह्रीं षट्खंडागमज्ञानसंयुक्तायै नमः
३६. ॐ ह्रीं सिद्धान्तचिन्तामणिटीकाकर्त्र्यै नमः
३७. ॐ ह्रीं सिद्धान्तचक्रेश्वर्यै नमः
३८. ॐ ह्रीं द्विशतग्रन्थरचनाकत्र्र्यै नमः
३९. ॐ ह्रीं पूर्णशशिकलायै नमः
४०. ॐ ह्रीं अंगांशश्रुतधारिकायै नमः
४१. ॐ ह्रीं गुरुपरम्परारक्षिकायै नमः
४२. ॐ ह्रीं पाठिकायै नमः
४३. ॐ ह्रीं अज्ञानतिमिरविनाशकायै नमः
४४. ॐ ह्रीं क्षमाशालिन्यै नमः
४५. ॐ ह्रीं दृढ़संकल्पिन्यै नमः
४६. ॐ ह्रीं श्वेतवस्त्रधारिण्यै नमः
४७. ॐ ह्रीं मयूरपिच्छिकासहितायै नमः
४८. ॐ ह्रीं जिनवाणीचिन्हितायै नमः
४९. ॐ ह्रीं ध्वजचिन्हसमन्वितायै नमः
५०. ॐ ह्रीं राजयोगगुणसमन्वितायै नमः
५१. ॐ ह्रीं आर्यिकाशिरोमणये नमः
५२. ॐ ह्रीं न्यायप्रभाकरपदव्यै नमः
५३. ॐ ह्रीं शांतमुद्राधारिण्यै नमः
५४. ॐ ह्रीं परम्परासिद्धपर्यायसमन्वितायै नमः
५५. ॐ ह्रीं भव्यत्वगुणसहितायै नमः
५६. ॐ ह्रीं श्रुतज्ञानदिवाकरप्रभायै नमः
५७. ॐ ह्रीं वीरसागराचार्यस्यशिष्यायै नमः
५८. ॐ ह्रीं युगप्रमुखायै नमः
५९. ॐ ह्रीं विघ्नसंहारिकायै नमः
६०. ॐ ह्रीं आर्षमार्गसंवाहिकायै नमः
६१. ॐ ह्रीं सिद्धान्तकल्पतरुकलिकायै नमः
६२. ॐ ह्रीं श्री ऋषभदेवसमवसरणश्रीविहार प्रेरिकायै नम:।
६३. ॐ ह्रीं श्री तीर्थंकरऋषभदेवदीक्षास्थलीप्रयागतीर्थ प्रणेत्र्यै नम:।
६४. ॐ ह्रीं श्री ऋषभदेवस्यअन्तर्राष्ट्रीयनिर्वाणमहोत्सव सम्प्ररिकायै नम:।
६५. ॐ ह्रीं श्री भगवानमहावीर ज्योतिरथप्रवर्तन सम्प्रेरिकायै नम:।
६६. ॐ ह्रीं श्री भगवानमहावीरजन्मभूमिकुण्डलपुर विकासिकायै नम:।
६७. ॐ ह्रीं श्री चतुर्विंशतितीर्थंकरजन्मभूमिविकास सम्प्रेरिकायै नम:।
६८. ॐ ह्रीं श्री मांगीतुंगीसिद्धक्षेत्रशताष्टफुटोन्नतऋषभदेव
प्रतिमानिर्माण सम्प्रेरिकायै नम:।
६९. ॐ ह्रीं दीक्षाप्रदायिकायै नमः
७०. ॐ ह्रीं गणिनीप्रमुख ज्ञानमती मात्रे नमः
एतत्सप्ततिमंत्राणि, ये पठन्ति दिने दिने।
ते श्रुतज्ञानमायान्ति, चन्दनामतिरात्मनि।।१।।