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गौरवमयी पद जिन्होंने प्राप्त करके!
June 15, 2020
भजन
jambudweep
गौरवमयी पद जिन्होंने
वसन्ततिलका छन्द
गौरवमयी पद जिन्होंने प्राप्त करके।
संसार में सुमति ज्ञान प्रचार करके।।
वैराग्यमूर्ति श्रुत के परिवेष में हैं।
श्री मात ज्ञानमति को नित ही नमूँ मैं।।१।।
माँ मोहिनी जो बनीं शुभ रत्नमति थीं।
सहजात्म शुद्ध रत्नत्रय युक्त मति थीं।।
जननी सुज्ञानमति की पदरज नमूँ मैं।
श्री मात ज्ञानमति को नित ही नमूँ मैं।।२।।
श्री शांतिसिंधु गुरुवर से ज्ञान पाया।
श्री वीरसिन्धु मुनि से पदभान आया।।
निज नाम सार्थक किया निज ही गुणों से।
श्री मात ज्ञानमति को नित ही नमूँ मैं।।३।।
साहित्य सर्जन किया बहु पुण्यकारी।
बन ज्ञानज्योति फैंली तव कीर्ति प्यारी।।
जम्बू सुद्वीप रचना में संचरूँ मैं।
श्री मात ज्ञानमति को नित ही नमूँ मैं।।४।।
श्री वीर के समवसृति में चन्दना थीं।
गणिनी बनीं जिनचरण जगवन्दना थीं।।
गणिनी वही पदविभूषित को नमूँ मैं।
श्रीमात ज्ञानमति को नित ही नमूँ मैं।।५।।
दोहा
मुख में जिनके शारदा, सरस्वती भण्डार।
नमन ‘चंदनामति’ करे तुमको बारम्बार।।
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Gyanmati mata ji
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