सूर्य किरण के पड़ते ही जग अंधकार भग जाता है।
ज्ञानसूर्य के उगते ही अज्ञान तिमिर नश जाता है।।
ज्ञानमती ने उसी ज्ञान से जिन पर को चमकाया है।
वंदन कर लो इन चरणों में जन्मदिवस शुभ आया है।।१।।
ब्राह्मी चंदनबाला की इतिहास कथित गाथाएँ हैं।
पर तुममें वह सहज रूप लख हर्षित दशों दिशाएँ हैं।।
ज्ञानज्योति की यशसौरभ ने तव गुण गौरव गाया है।
शत शत वंदन तव चरणों में जन्मदिवस शुभ आया है।।२।।
जब कन्याएँ त्यागमार्ग में कदम नहीं रख पाई थीं।
सन् उन्निस सौ बावन में तुमने वह लड़ी लड़ाई थी।।
अबलाओं की बनीं मसीहा सबको मार्ग दिखाया है।
पद वंदन स्वीकार करो माँ जन्मदिवस शुभ आया है।।३।।
युग की प्रथम ज्ञानमति अरु सबसे प्राचीन साधिका हो।
शांतिसिन्धु की पट्टावलि में तुम चारित्रचंद्रिका हो।।
गणिनी बन गुरु वीरसिन्धु का गौरव सदा बढ़ाया है।
शत वंदन स्वीकार करो माँ जन्मदिवस शुभ आया है।।४।।
मिला पूर्णिमा और अमावस का संयोग निराला है।
मुझ आमावस के जीवन में तुमने किया उजाला है।।
शरदपूर्णिमा के दिन तुमने जन्म अवध में पाया है।
करे ‘‘चंदनामती’’ वंदना जन्मदिवस शुभ आया है।।५।।