तर्ज-जरा सामने…………….
दीक्षा भूमी की महिमा महान है, जहाँ तीरथ बना शुभ धाम है।
गणिनी ज्ञानमती की दीक्षा भूमि का, माधोराजपुरा शुभ नाम है।।टेक.।।
प्रथमाचार्य शांतिसागर के, प्रथम हि पट्टाचार्य गुरू।
वीरसिंधु से प्रथम ज्ञानमति, का दीक्षाक्रम हुआ शुरू।।
प्रथम बाल ब्रह्मचारिणी महान हैं, ज्ञानमती माताजी जिनका नाम है।
गणिनी ज्ञानमती की दीक्षा भूमि का, माधोराजपुरा शुभ नाम है।।१।।
पारसप्रभु के गर्भकल्याणक, तिथि में दीक्षा धारण की।
सन् उन्निस सौ छप्पन में, वैशाख कृष्णा दुतिया तिथि थी।।
सार्थक हो गया ज्ञानमति नाम है, रचे ढाई सौ ग्रंथ महान है।
गणिनी ज्ञानमती की दीक्षा भूमि का, माधोराजपुरा शुभ नाम है।।२।।
पार्श्वनाथ की खड्गासन, प्रतिमा पर्वत पर राज रही।
और ‘चन्दनामती’ तीर्थ पर, चौबिस मूर्ति विराज रहीं।।
उनके दर्शन का पुण्य महान है, निकट में पदमपुरा तीर्थ धाम है।
गणिनी ज्ञानमती की दीक्षा भूमि का, माधोराजपुरा शुभ नाम है।।३।।