सांगानेर, जयपुर में श्रमण शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद तथा मुनिपुंगव श्री सुधासागरजी महाराज की पावन प्रेरणा से १३अक्टूबर, 1996 को श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान की स्थापना हुई। यह भारत वर्ष में दिगम्बर जैन समाज का विद्वानों को तैयार करने वाला अद्वितीय संस्थान है।
संस्थान का मुख्य उद्देश्य संस्कारित, आगम पारंगत विद्वानों को तैयार कर आर्षमार्गीय सिध्दांतों का प्रचार प्रसार करना है। संस्थान के छात्रों को आवास, भोजन,शिक्षण आदि सभी प्रकार की सुविधाएं समाज के सहयोग से नि:शुल्क प्रदान की जाती हैं।
इस छात्रावास में अंग्रेजी विषय सहित 10 वीं कक्षा उत्तीर्ण छात्र ही प्रवेश ले सकते हैं, जिन्हें राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एवं राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के निर्धारित नियमित पाठ्यक्रम का अध्ययन नियमित छात्र के रूप में श्री दिगम्बर जैन आचार्य संस्कृत महाविद्यालय, सांगानेर जयपुर में कराया जाता है।
संस्थान में कनिष्ठोपाध्याय ( 11 वीं) से शास्त्री तृतीय वर्ष (बी. ए. समकक्ष के छात्रों को पांच वर्षो में लौकिक शिक्षा के साथ साथ प्रतिवर्ष विभिन्न शास्त्रों का गहन अध्ययन कराया जाता है।
महाविद्यालय के पाठ्यक्रम एवं पठन के अतिरिक्त संस्थान में जैन दर्शन, प्राकृत, संस्कृत, ज्योतिष वास्तुशिल्प, कम्प्यूटर एवं अंग्रेजी आदि विषयों का अध्ययन कराया जाता है।
इस छात्रावास में रहते हुए शास्त्री (स्नातक) परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् जैन दर्शन का एक योग्य विद्वान् तो हो ही जाता है, साथ ही आई. ए. एस. आर. ए. एस, एम.बी,ए,जैसी सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में सम्मिलित हो सकता है तथा अपनी प्रतिभा के अनुरूप अपेक्षित विषयों का चयन कर उच्च शिक्षा एवं पद प्राप्त कर सकता है।
संस्थान से अभी तक 250 स्नातक विद्वान हैं, जो समाज को अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
इसी तरह से मथुरा में श्रमण ज्ञान भारती, हैदराबाद में श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन गुरुकुल, इंदौर में महाकवि ज्ञानसागर छात्रावास, प्रतिभा चयन छात्रावास, जबलपुर में श्री वर्णी दिगम्बर जैन गुरुकुल आदि संस्थाएं संचालित हैं।