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आओ बंधु! तुम्हें बताएँ, परिचय प्रथमाचार्य का!
June 13, 2020
भजन
jambudweep
आवो बन्धू! तुम्हें बताएँ
तर्ज-आओ बच्चों………………….
आवो बन्धू! तुम्हें बताएँ, परिचय प्रथमाचार्य का।
श्री चारित्रचक्रवर्ती, शांतीसागर आचार्य का।।
वन्दे गुरुवरं, वन्दे मुनिवरं-वंदे गुरुवरं, वंदे मुनिवरम्।।टेक.।।
देव-शास्त्र-गुरु भक्त युवक थे, श्री सातगौंडा पाटिल।
मात-पिता की सेवा करके, जीत लिया था उनका दिल।।
कहते हैं उनके जीवन में, धैर्य व शौर्य अपार था।
श्री चारित्रचक्रवर्ती, शांतीसागर आचार्य का।।
वन्दे गुरुवरं, वन्दे मुनिवरं-वंदे गुरुवरं, वंदे मुनिवरम्।।१।।
गाँव के श्रावक दिन भर खेत में, खेती करने जाते थे।
लेकिन सातगौंड पाटिल, दो घंटे खेत पे जाते थे।।
फिर भी उनको फसल से अपनी, मिलता खूब अनाज था।
श्री चारित्रचक्रवर्ती, शांतीसागर आचार्य का।।
वन्दे गुरुवरं, वन्दे मुनिवरं-वंदे गुरुवरं, वंदे मुनिवरम्।।२।।
खेत में पक्षी दाना चुगते, उनको नहीं भगाते थे।
पानी भी उनको देकर, पक्षियों की प्यास बुझाते थे।।
इसी दया के कारण उनका, भरा सदा भण्डार था।
श्री चारित्रचक्रवर्ती, शांतीसागर आचार्य का।।
वन्दे गुरुवरं, वन्दे मुनिवरं-वंदे गुरुवरं, वंदे मुनिवरम्।।३।।
उनका पुण्यपुराण ‘चन्दनामती’ जगत में गूँज रहा।
प्रौढ़-युवावस्था में उनको, ज्ञान लाभ भी खूब रहा।।
उनके मन में तो दीक्षा, लेने का पुण्य विचार था।
श्री चारित्रचक्रवर्ती, शांतीसागर आचार्य का।।
वन्दे गुरुवरं, वन्दे मुनिवरं-वंदे गुरुवरं, वंदे मुनिवरम्।।४।।
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