पुन्नाट संघ के आचार्य ||
हरिवंश पुराण के अनुसार पुन्नत संघ साक्षात अर्हद्वलि आचार्य द्वारा स्थापित किया गया प्रतीत होता है क्योंकि गुर्वावाली में इनका सम्बन्ध लोहाचार्य अर्हद्वलि से मिलाया गया है | लोहाचार्य व अर्हद्वलि के समय का निर्णय मूलसंघ में हो चुका है और उसके आधार पर इनके निकटवर्ती छः आचार्यों के समय का अनुमान किया जाता है| इसी प्रकार अन्त में जयसेन व जयसेनाचार्य का समय निर्धारित है उनके आधार पर उनके निकटवर्ती चार आचार्यों के समयों का भी अनुमान किया गया है |
इनकी पट्टावली में लोहाचार्य का समय ५१५ – ५६५ वीर नि. सं. का है उसके पश्चात् विनयधर , गुप्तिश्रुति, गुप्तऋद्धि , शिवगुप्त , अर्हद्वलि , मन्दरार्य, मित्रवीर , बलदेव , मित्रक ,सिंहबल , वीरवित, पद्मसेन , व्याघ्रहस्त , नागहस्ती , जितदण्ड , नंदीषण , दीपसेन, धरसेन, नं. २ , सुधर्मसेन , सिंहसेन , सुनंदी१ ,ईश्वरसेन , सुनंदीषेण २ , अभयसेन , भीमसेन, जिनसेन १ , शान्तिसेन, जयसेन २, अमितसेन , कीर्तिषेण और जिनसेन २ है |
पुन्नत संघ की गुर्वावाली के अनुसार आप नंदीषेण प्रथम के शिष्य तथा नंदीषेण के गुरु थे |