मनुष्य अत्यधिक विकसित और सर्वश्रेष्ठ होने के बावजूद प्राकृतिक जीव है इसलिए कुदरत के इन तत्वों का अधिकाधिक यात्रा में उपयोग करने पर उसे अच्छा स्वास्थ्य लाभ होता है। जैसे-
# रात को उबालकर धातु के बर्तन में रखा पानी, सुबह -सुबह दो- तीन गिलास पीने से बहुत ही आश्चर्यजनक परिणाम मिलते हैं।
# सीधे लेटकर पेट पर ५-१० मिनिट लकड़ी का बेलन रगड़े इससे कब्ज और दूषित गरमी दूर होगी। # गरम और ठंडे पानी में भिगोया हुआ कपड़ा रखिये। ठंडे पानी में भिगोया हुआ कपड़ा रखने से बुखार उतर जाता है। विजातीय द्रव्य दूर होते हैं।
# गरम पानी में भिगोया हुआ कपड़ा रखने से दर्द मिटता है और सूजन दूर होती है।
# भाप का उपयोग करने पर वाष्प स्नान करने से शरीर में स्थित सर्दी और विषैले द्रव्य पसीने द्वारा दूर होते हैं तथा रक्त-भ्रमण बढ़ता है।
# भाप का उपयोग विशेषतः पोलियो, आर्थराइटिस, संधिवात, पक्षाघात आदि में बड़ा लाभदायक होता है।
# बुखार आने पर सूती चादर या कपड़ा गीला करके शरीर पर लपेटिये।
# शुद्ध हवा प्राण-वायु है उसे अवश्य ही ग्रहण कीजिये।
# सूर्य नमस्कार शरीर के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
# आहार में हरी साग- भाजी, फल और आनाज में पॉजिटिव व निगेटिव सूर्यशक्ति-विद्युत समान यात्रा में संग्रहीत है। यह सरलता से पच जाती है तथा अधिक से अधिक शक्ति प्रदान करती है। अतः हम उपरोक्त लिखित तत्वों को अपने जीवन में समावेश कर उचित स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। हमें उम्मीद है आप इन्हें अवश्य ही अपनायेंगे।