
ऋषभदेव से महावीर तक, चौबिस तीर्थंकर प्रभु हैं। 














जिस मोक्षमहाफल के निमित्त, प्रभु ने उग्रोग्र तपस्या की। 



































प्रभु ऋषभदेव की दीक्षा एवं ज्ञानभूमि का अर्चन है। 




ऋषभदेव निर्वाणभूमि, कैलाशगिरी को नम लो। 




तीर्थराज सम्मेदशिखर है, शाश्वत सिद्धक्षेत्र जग में। 
श्री मांगीतुंगी आदि सिद्ध-क्षेत्रों को नमन हमारा है। 
सोलह जन्मभूमि त्रय दीक्षा-केवलज्ञान के तीरथ हैं।


जो भवसमुद्र से तिरवाता, वह तीर्थ कहा जाता जग में। 