विश्व की समस्त मंत्र विद्याओं में सर्वश्रेष्ठ रूप से स्वीकृत यह महामंत्र णमोकार है। इस मंत्र में किसी व्यक्ति विशेष को नहीं, अपितु आत्मीय गुणों में श्रेष्ठता को प्राप्त परम आत्माओं को नमस्कार किया गया है। मंत्रोच्चारण से उत्पन्न ऊर्जा मानवीय शक्ति का विकास एवं आत्मशान्ति का अचूक उपाय है। अक्षरों की संयोजना, स्वरों का संयोग इस मंत्र की अपनी विशेषता है, जो कि अन्यत्र दुर्लभ है। इसके प्रत्येक पद और अक्षर मंत्र रूप ही हैं। इस मंत्र को आगे—पीछे—बीच में कैसे भी पढ़ा जा सकता है।