महामात्य चामुण्डराय जी ने अपनी माँ कालका देवी की इच्छा पूरी करने के लिए सन् ९८१ ई. में आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती के सान्निध्य में इन्द्रगिरि पर्वत पर भगवान बाहुबली की प्रतिमा प्रतिष्ठापित कराई थी । बाहुबली भगवान की विश्वविश्रुत विशाल ५७ फुट उत्तुंग उत्तरामुखी कायोत्सर्ग आसन की संसार की अनुपम, अद्वितीय एवं अतिशय सम्पन्न प्रतिमा है । यह प्रतिमा रूप, शिल्प और मूर्तिविज्ञान की अद्वितीय कलाकृति है । इस भव्य मूर्ति का महामस्तकाभिषेक १२ वर्ष के अन्तराल में होता है । यह दक्षिण भारत का प्रमुख जैन तीर्थ एवं पर्यटन स्थल है ।