भोजन मानव को निरोगी भी रखता है और रोगी भी रखता है। मानव को स्वस्थ और निरोगी रखने के लिये संतुलित आहार का विशेषज्ञ सुझाव देते हैं। संतुलित भोजन अर्थात् नपा तुला भोजन जिसमें समस्त पोषक तत्वों का समावेश हो। हम सब जानते हैं वायु और जल के पश्चात् शरीर की टूट—फूट को ठीक करने के लिये भोजन अति आवश्यक है। ख से खाना भी बनता है और खतरा भी। ध्यान रहे अंग्रेजी के शब्द में पहले जुड़ा हुआ है। जिसका अर्थ होता है मर जाना। भोजन तारे भी मारे भी। इसलिये भोजन के बारे में सतर्कता बरतने की अधिक जरूरत है। भोजन करने का सर्वश्रेष्ठ समय प्रात: ९ से १० बजे के मध्य है। हमें सुबह नाश्ते की आदत छोड़नी पड़ेगी। Break th Break Fast हमारा स्वास्थ्य भोजन की मेज पर ही बनता और बिगड़ता है। सांयकालीन भोजन सूर्य अस्त होने के पूर्व ही कर लिया जाये तो आपके स्वास्थ्य में चार चाँद लग सकते हैं। दोनों समय के मध्य फल, दूध या रस का सेवन किया जा सकता है। भोजन करने के चार घण्टे तक उदर में पानी के अतिरिक्त और कुछ नहीं डालना चाहिए क्योंकि भोजन उदर में चार घण्टे रहकर आगे छोटी आँत में सरकता है। जिसने अपनी जिह्वा पर नियंत्रण कर लिया, वह संसार को नियंत्रण कर सकता है। किसी हकीम ने कहा है, इन्सान जानबूझकर अपनी कब्र अपनी जीभ से खोदता है। भोजन शांतिपूर्वक शांत स्थान पर बैठकर एकाग्रचित होकर करें। भोजन को न टी. वी. के सामने, न अखबार पढ़ते हुए, न बात करते हुए करें। भोजन को दृष्टिदोष से बचाइये। भोजन के बाद रायता या छाछ जिसमें कम नमक व कम मिर्च हो लीजिए। तत्पश्चात् यदि कोई फल हो तो उसे लीजिए। सलाद भोजन के पूर्व तथा फल बाद में लें। तत्पश्चात् एक सिप (चुल्लूभर) पानी पियें। जिससे भोजन के कण जो दाँतों में लग गये हैं, वे उदर में चले जायें। फिर लघुशंका कर कुल्ला कीजिए। दाँत साफ कीजिए फिर वज्रासन में बैठकर मन में साेचिये कि मैंने जो कुछ खाया है, उसका पाचन ठीक हो, शरीर को शक्ति मिले, ऊर्जा मिले और शारीरिक दोष दूर हों। फिर कुछ देर बायें करवट लेट जाइये। भोजन के पश्चात् यदि पानी लेना ही पड़े तो एक कप गर्म पानी चाय की तरह ले सकते हैं। इससे मोटाम कम होगा। स्वास्थ्य के लिये भोजन जैसा महत्त्वपूर्ण है, व्यायाम तथा सकारात्मकता उतनी ही महत्त्वपूर्ण है।