



जब-जब काया पर मैल चढ़ा, मैंने जल से स्नान किया। 




जब-जब विषयों की आश जगी, भोगों में सुख मैंने माना। 
जब-जब काया को भूख लगी, स्वादिष्ट सरस व्यंजन खाया।




जब-जब कोई भी फल देखा, खाने की इच्छा प्रबल हुई। 




तीर्थ का अर्चन करना है-२, श्री पद्मप्रभ की जन्मभूमि कौशाम्बी को भजना है।।